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Saturday, March 26, 2016

आया बसंत छाया बसंत




जता देते हैं 
भ्रमर के सुगीत 
आया बसंत ! 

जागी प्रकृति 
खिल गयीं कलियाँ 
पंछी चहके ! 

अल्पना सजी 
घर आँगन द्वारे 
साँझ सकारे ! 

रंगों का खेल 
खेल रही प्रकृति 
फूलों के संग ! 

गाते झरने 
झूमते खलिहान 
मुग्ध वसुधा ! 

आम का बौर 
सुरभित पवन 
कूके कोकिला ! 

प्रेम का राग 
मन में अनुराग 
झुकी पलकें ! 

तुम न आये 
बैरी चाँद सताए 
कुछ न भाये ! 

सुबह हुई 
हमसफ़र चाँद 
घर को चला ! 

प्रिया उदास 
है फीका मधुमास 
पिया न पास ! 


साधना वैद

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