मेरे अंतर्मन के
देवालय में
चंद कलश बड़े प्यार
से
सहेज कर रखे हैं
मैंने !
जानते हैं क्या है
उनमें ?
उनमें बड़े कीमती
मोती हैं
प्रेमाश्रुओं के
मोती
जिनका मोल संसार का
पारखी से पारखी
जौहरी भी
नहीं लगा सकता !
इनमें से एक कलश में
भरे हैं आँसू मेरी
माँ के
जो मेरे जन्म से
लेकर आज तक
मेरी हर व्याधि, हर कष्ट,
हर चोट पर चिंतित
होकर
ना जाने कितनी बार
आकुल व्याकुल होकर
नयनों के रास्ते
बहते रहे हैं !
दूसरे कलश में भरे
हैं आँसू
मेरी प्यारी दीदी के
जो मेरे मन में
धधकती
ज्वाला के शमन के
लिए
गाहे बगाहे बरबस ही
बरस पड़ते थे और बड़े
प्यार से
उनसे आचमन कर मैं अपनी
सारी दुविधा सारे
संशय
भूल जाया करती थी !
तीसरे कलश में बहुत
थोड़े हैं
लेकिन सबसे कीमती
प्रेमाश्रु हैं
जो हैं मेरे बाबूजी
के
जो उनकी छात्र छाया
से
दूर हो जाने पर
परदेश में
मेरी पीड़ा के अनुमान
मात्र से
यदा कदा उनके
नेत्रों में
छलक आया करते थे
और कोई देख ले
उससे पहले ही वे
उन्हें
सुखा दिया करते थे !
चौथे कलश में आँसू
हैं
हर रंग के जिनमें
हैं
प्यार, गुस्सा,
ईर्ष्या, क्षोभ,
पश्चाताप और क्षमा
के
बहुरंगी आँसू और
यह कलश है मेरे सबसे
प्यारे
सबसे अंतरंग छोटे
भैया का !
लेकिन इन सबसे अलग
यह जो स्वर्ण कलश है
इसमें संगृहित हैं
तुम्हारे आँसू
जो मेरे लिए सबसे
अनमोल हैं
क्योंकि उन आँसुओं
में
मुझे सदैव अपनी पीड़ा
के
प्रतिबिम्ब के स्थान
पर
तुम्हारी पीड़ा का
प्रतिबिम्ब
दिखाई दिया है
वो बहे हैं तो सिर्फ
मेरे लिए
नितांत विशुद्ध
प्रेमवश
इसीलिये वो सबसे
विशिष्ट हैं !
बस इतनी विनती है
मेरी अंतिम यात्रा
से पूर्व
इन प्रेमाश्रुओं से
ही
मेरा अंतिम स्नान हो
और
गंगाजल के स्थान पर
मेरे मुख में इन्हीं
आँसुओं की
चंद बूँदें टपकाई
जाएँ क्योंकि
इनसे अधिक निर्मल
इनसे अधिक शुद्ध और
इनसे अधिक पवित्र
इस संसार में अन्य
कुछ
हो ही नहीं सकता !
साधना वैद
बहुत ही भावपूर्ण कविता....❤️
ReplyDeleteबेहतरीन व्याख्या
ReplyDeleteसादर नमन
बहुत सुन्दर भावपूर्ण कविता |
ReplyDeleteआशा
जी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शुक्रवार ५ अप्रैल २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
हार्दिक धन्यवाद उषा जी !
ReplyDeleteआपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद यशोदा जी ! आभार आपका !
ReplyDeleteतहे दिल से शुक्रिया जीजी ! आभार आपका !
ReplyDeleteआपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! स्नेहिल वन्दे !
ReplyDeleteलेकिन इन सबसे अलग
ReplyDeleteयह जो स्वर्ण कलश है
इसमें संगृहित हैं तुम्हारे आँसू
जो मेरे लिए सबसे अनमोल है...
बेहतरीन रचना आदरणीया
सादर
हार्दिक धन्यवाद अनीता जी ! आभार आपका !
ReplyDeleteबहुत लाजवाब रचना हमेशा की तरह...
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