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Saturday, August 6, 2022

यक्ष प्रश्न

 



द्रौपदी का चीर हरण 

उस युग में भी हुआ था 

इस युग में भी होता है 

और आये दिन होता है 

उस युग में गोविन्द 

दूर रह कर भी 

द्रौपदी की आर्त पुकार को 

सुन कर विचलित हुए थे 

और उन्होंने चीर बढ़ा कर 

द्रौपदी की लाज बचा ली थी ! 

लेकिन इस युग में आये दिन 

न जाने कितनी द्रौपदियों की लाज

हर रोज़ हरी जाती है 

और गोविन्द ....? 

गोविन्द शायद सुदूर स्वर्ग के 

प्रेक्षागृह की दर्शकदीर्घा में बैठे 

बेचैनी से पहलू बदल रहे हों 

लेकिन किसीका चीर बढ़ा कर 

उसकी लाज नहीं बचा पाते,

किसीकी आर्त पुकार शायद

उनके कानों तक पहुँच नहीं पाती, 

उनका कोई चमत्कार 

कलयुग की इस पाप लीला के 

परिदृश्य को बदल नहीं पाता !

यह असमर्थता गोविन्द की 

सीमित शक्तियों की ओर

इशारा करती है या 

कलयुग में होने वाले 

जघन्य पापों की बढ़ती हुई 

ताकत की ओर इंगित करती है 

इस यक्ष प्रश्न का उत्तर  

कौन बताए ! 


साधना वैद 

23 comments :

  1. कलयुग में होने वाले
    जघन्य पापों की बढ़ती हुई
    ताकत की ओर इंगित करती है
    इस यक्ष प्रश्न का उत्तर
    कौन बताए !
    विचारणीय प्रश्न । सराहनीय रचना ।

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    1. हार्दिक धन्यवाद जिज्ञासा जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  2. कुछ जटिल प्रश्नों के उत्तर साधारण शब्दों में दे पाना कठिन है।
    सृष्टि और जीवन के रहस्यों को आम मनुष्य की बुद्धि से समझना मुश्किल है।
    विचारणीय यक्ष प्रश्न में उलझी सराहनीय अभिव्यक्ति।
    प्रणाम
    सादर।

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    1. हृदय से धन्यवाद श्वेता जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  3. जहाँ तक मैंने पढ़ा है द्रौपदी का विश्वास थे कृष्ण । आज के युग में क्या उतनी आस्था से कृष्ण को किसी ने सखा माना है ? ये भी तो एक यक्ष प्रश्न है ।
    विचारणीय रचना ।

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    1. तो क्या भगवान् भी पक्षपात करेंगे ? श्रद्धा और विश्वास की जिसकी थैली भारी उसीका रक्षण करेंगे ? एक यक्ष प्रश्न यह भी है संगीता जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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    2. इस समय तो मुझे याद आ रहा है कि जब भीष्म शरशैया पर थे तो उनके यह पूछने पर कि ये कष्ट मुझे क्यों मिला तो कृष्ण कहते हैं सब कर्मों का ही लेख जोखा है । विध्वंस रोक सकते थे भीष्म । खैर यहाँ पक्षपात की बात नहीं है ।

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  4. मेरे पास इस प्रश्न का उत्तर तो नहीं है लेकिन आज।के युग में सबको अपनी रक्षा स्वयं ही करनी होगी

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    1. सहमत हूँ आपसे प्रीति जी ! इस कलयुग में चमत्कारों के लिए कोई स्थान नहीं ! हार्दिक धन्यवाद आपका !

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  5. This comment has been removed by the author.

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  6. विश्वास पर ही प्रश्नचिन्ह है इस युग में

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    1. हार्दिक धन्यवाद सतीश जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  7. कृष्ण हमारे भीतर हैं और द्रोपदी भी। विश्वास सिर्फ स्वयं पर करना हैं और खुद ही स्व की रक्षा भी करना है।
    कुछ प्रश्नो के जवाब न ही मिलें तो अच्छा।
    अच्छी रचना
    सादर

    सादर

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    1. हार्दिक धन्यवाद अपर्णा जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  8. रचना सोचने पर विवश करती है। सुंदर भाव लिए अद्भुत प्रस्तुति।

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    1. हार्दिक धन्यवाद रचना जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  9. विचारणीय रचना...वाकई कृष्ण कब किसी भी द्रौपदी की लाज नहीं बचा रहे यक्ष प्रश्न ही है ये...

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    1. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार सुधा जी ! सप्रेम वन्दे !

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  10. स्वयं को ईश्वर कहने वाले गोविन्द के अस्तित्व पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया दिया है आये दिन हो रहे बालाओं के चीर हरण ने।एक चिंतनपरक रचना प्रिय साधना जी,जो सोचने पर मजबूर करती है 🙏🙏

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद रेणु जी ! आपका दिल से बहुत बहुत आभार !

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  11. उत्कृष्ट रचना

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  12. हार्दिक बधाई सुन्दर अभिव्यक्ति |

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  13. समसामयिक , विचारणीय !

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