छन्न पकैया छन्न पकैया
कठिन हो गया जीना
कोरोना के डरने सबसे
छीना खाना पीना !
छन्न पकैया छन्न पकैया
सूनी हैं सब गलियाँ
ना मिलते फल फ्रूट हाट में
ना मिलतीं औषधियाँ !
छन्न पकैया छन्न पकैया
हर सुख इसने छीना
कहाँ जाएँ है कौन सुने जो
दुखते मन की बीना !
छन्न पकैया छन्न पकैया
भूखे श्रमिक बिचारे
काम काज सब बंद हो गया
फिरते दर दर मारे !
छन्न पकैया छन्न पकैया
आ जाओ गिरिधारी
संकट में हैं ग्वाल बाल सब
हर लो विपदा सारी !
साधना वैद
हार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
ReplyDeleteउम्दा रचना |
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद जी ! बहुत बहुत आभार आपका जी !
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 13 मई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteआपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार दिग्विजय जी ! सादर वन्दे !
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