नहीं जानती
तुम्हारा यह मौन
वरदान है या अभिशाप
कवच है या हथियार
आश्रय है या भटकाव
संतुष्टि है या संशय
सांत्वना है या धिक्कार
आत्म रक्षा है या प्रहार
आश्वासन है या उपहास
पुरस्कार है या दण्ड
जो भी है
सिर माथे है ,
अवसान की इस बेला में
जब सूरज डूब चुका है ,
रोशनी भी मद्धम है ,
हवा किसी श्रंखला में जकड़ी
विवश बंदिनी सी कैद है ,
आसपास के तरुवर
प्रस्तर प्रतिमा की तरह
कोई भी हरकत किये बिना
निर्जीव से खड़े हैं ,
आसमान में इक्का दुक्का तारे
यहाँ वहाँ सहमते सकुचाते
जुगनू की तरह
टिमटिमा रहे हैं ,
सारी कायनात
जाने किस अनिर्दिष्ट
आतंक से भयभीत हो
एकदम खामोश है
संजीदगी का तुम्हारा यह
अनचीन्हा सा बाना
मेरी समझ से
नितांत परे है !
संजीदगी का तुम्हारा यह
अनचीन्हा सा बाना
मेरी समझ से
नितांत परे है !
ऐसे में जाने क्यों जब
साँसें भी बहुत कम
हो चली हैं ,
दृष्टि भी धुँधला चली है
दृष्टि भी धुँधला चली है
और हाथों की पकड़ से
सब कुछ
सब कुछ
छूटता सा लगता है ,
तुम्हारी हर बेरुखी
तुम्हारा हर अन्याय
मुझे मन प्राण से
स्वीकार है !
स्वीकार है !
साधना वैद
चित्र - गूगल से साभार
चित्र - गूगल से साभार
अत्यन्त ही सुन्दर रचना है, वास्तव में मौन तो मनुष्य व्यवहार का महत्वपूर्ण आभूषण है यदि मनुष्य उसे धारण करता है तो उसका व्यक्तित्व चमकने लगता है परन्तु मनुष्य उसे धारण न करे तो इसके लाभ से वंचित हो जाता है।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद मान्यवर ! आभार आपका !
Deleteसुन्दर रचना
ReplyDeleteहृदय से बहुत बहुत धन्यवाद आपका शास्त्री जी ! हार्दिक धन्यवाद !
Deleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteमानव-मन कई बार मौन में भी वाचाल होता है .. हम पढ़ नहीं पाते और अगर ना भी हो तो स्वीकार करना ही पड़ता है ... प्रकृति परिवर्त्तनशील जो ठहरी ...
ReplyDeleteसंजीदगी को संजोती एक बेहतरीन रचना।
ReplyDelete(कृपया - श्रृंखला लिखें )
आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार पुरुषोत्तम जी ! स्वागत है !
Deleteसंवेदनशील प्रतिक्रिया के लिए आपका हृदय से धन्यवाद सुबोध जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में सोमवार 11 मई 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद यशोदा जी ! हृदय से बहुत बहुत आभार आपका ! सप्रेम वन्दे सखी !
Deleteआपकी रचना में गूँथे गये भाव सहजता से पाठकों से संवाद करते हैं। बेहतरीन सृजन हमेशा की तरह।
ReplyDeleteसादर।
हार्दिक धन्यवाद श्वेता जी ! आभार आपका !
Deleteवाह!साधना जी ,बेहतरीन सृजन ।
ReplyDeleteहृदय से धन्यवाद शुभा जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteबहुत ही सुंदर सृजन आदरणीया दीदी
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद एवं आभार आपका अनीता जी ! स्वागत है आपका !
Deleteआपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी ! सप्रेम वंदे !
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