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Friday, September 23, 2011

शायद


तुमने आज चाँद देखा था ?

तुम्हें भी उदास लगा था ना

मेरी तरह ?

पता नहीं कैसे

मेरे मन की सारी

अनकही बातें भी

वह सुन लेता है और फिर

मेरी ही तरह ज्योत्सना की

धवल चादर लपेट

खामोश हो आसमान की बाहों में

लुढ़क जाता है !

तुमने चाँदनी की नमी को

अपनी पलकों पर

महसूस किया था ?

उस शबनमी छुअन में

जो आर्द्रता थी ना

वह मेरे आँसुओं की थी

जो ना जाने कब उसने

मेरी पलकों से सोख ली

और तुम्हारे ऊपर बरसा दी !

तुमने सितारों की रोशनी को

देखा था जलते बुझते ?

वो भी तो मेरी ही

ख्वाहिशें थीं

कभी सहमतीं

कभी लरजतीं,

कभी बनती

कभी बिगड़तीं !

मुझे चाँद को देखना

अच्छा लगता है

शायद... वहीं समय के

किसी एक पल पर

ठिठक कर

हम दोनों की नज़रें

एक दूसरे से मिल जायें

और वह सब कुछ

कह जायें जो

आज तक अनकहा ही

मन में घुट कर

रह गया !

शायद.....



साधना वैद

13 comments :

  1. तुमने सितारों की रोशनी को

    देखा था जलते बुझते ?

    वो भी तो मेरी ही

    ख्वाहिशें थीं

    कभी सहमतीं

    कभी लरजतीं,

    बहुत खूबसूरत पंक्तियाँ ... शबनम की नमी और आंसूं और एक बार मौन जो मुखरित हो जाये उसकी ख्वाहिश ... मन तक पहुंचते भाव रचना के .. बाहर सुन्दर प्रस्तुति

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  2. एक टीस सी जगा गयी आपकी कविता...
    बेहद ख़ूबसूरत लगी ये रचना

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  3. मन की टीस को बयाँ करती भावमयी प्रस्तुति दिल को छू गयी।

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  4. बहुत गहरा सोच और उसकी अभिव्यक्ति |
    आशा

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  5. बहुत ही खूबसूरत कविता।

    सादर
    -----
    परिंदों का मन

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  6. हम दोनों की नज़रें
    एक दूसरे से मिल जायें
    और वह सब कुछ
    कह जायें जो
    आज तक अनकहा ही
    मन में घुट कर
    रह गया !

    mujhe bhi kuchh asia hi lagta hai.

    kuchh tumne kah di...kuch maine sun li.....kuchh maine kah di..

    bahut sunder.

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  7. मन की वेदना का सही चित्रण /बहुत ही सम्बेदंशील रचना /बधाई आपको /
    मेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है /जरुर पधारें /

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  8. मुझे चाँद को देखना

    अच्छा लगता है

    शायद... वहीं समय के

    किसी एक पल पर

    ठिठक कर

    हम दोनों की नज़रें

    एक दूसरे से मिल जायें

    और वह सब कुछ

    कह जायें जो

    आज तक है..

    अनकहा !

    सुन्दर भाव....

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  9. मन को छु जाने वाली रचना

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  10. हर रंग को आपने बहुत ही सुन्‍दर शब्‍दों में पिरोया है, बेहतरीन प्रस्‍तुति ।

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  11. ऐसी कवितायेँ ही मन में उतरती हैं ॥

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  12. हम दोनों की नज़रें

    एक दूसरे से मिल जायें

    और वह सब कुछ

    कह जायें जो

    आज तक अनकहा ही

    मन में घुट कर

    रह गया !

    शायद.....

    बहुत सुंदर और भावपूर्ण रचना. बधाई.

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  13. गहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ बहुत ख़ूबसूरत रचना लिखा है आपने!
    मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
    http://seawave-babli.blogspot.com/
    http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/

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