मैं भारत की बेटी हूँ
और भारत मेरी शान है
जग में नहीं है इस सा कोई
मेरा देश महान है !
बहती राम नाम की सरिता
हो गीता का ज्ञान जहाँ
योगी ऋषि मुनियों की भूमि
देवों का गुणगान जहाँ
उस पावन धरती की माटी
हर मस्तक का मान है !
मैं भारत की बेटी हूँ
और भारत मेरी शान है !
मुझे मान है इस धरती के
नदिया पर्वत अम्बर पर
मुझे गर्व चरणों को धोते
विनत भाव से सागर पर !
कण्ठ कण्ठ से जहाँ फूटता
भारत माँ का गान है
मैं भारत की बेटी हूँ
और भारत मेरी शान है !
रामराज्य की जहाँ कल्पना
होती हैं साकार अभी
वेद पुराण उपनिषद पावन
पढ़ते हों विद्वान् सभी
उस भारत की पुण्य भूमि पर
मुझे बड़ा अभिमान है !
मैं भारत की बेटी हूँ
और भारत मेरी शान है !
साधना वैद
नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" में मंगलवार 18 अगस्त 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार रवीन्द्र जी ! सादर वन्दे !
Deleteसार्थक रचना।
ReplyDeleteवन्दे मातरम्।
आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
Deleteआदरणीया मैम,
ReplyDeleteबहुत ही प्यारी देश भक्ति के भाव से भरी हुई रचना। पक्ष कर बहुत आनंद आया और भारतीयता का उत्साह मन में भर गया।
उस पावन धरती की माटी
हर मस्तक का मान है !
मैं भारत की बेटी हूँ
और भारत मेरी शान है ! मेरी प्रिय पंक्ति।
सुंदर रचना के लिये हॄदय से आभार।
हार्दिक धन्यवाद अनंता जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद उषा जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteहमारी आन-बान-शान है
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद गगन जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteबहुत सुन्दर भाव लिए रचना |
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद जी ! बहुत बहुत आभार !
Deleteरामराज्य की जहाँ कल्पना
ReplyDeleteहोती हैं साकार अभी
वेद पुराण उपनिषद पावन
पढ़ते हों विद्वान् सभी
उस भारत की पुण्य भूमि पर
मुझे बड़ा अभिमान है !
मैं भारत की बेटी हूँ
और भारत मेरी शान है !
वाह भारत की बेटी के ज़ज्बे को सलाम है साधना जी | बहुत ही प्यारा सरल सा गीत -- वाह !!!!
आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार रेणु जी ! सप्रेम वन्दे !
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