मेरी छत की मुंडेर पर
हर रोज़ सैकड़ों परिंदे आते हैं
मैं उनके लिए बड़े प्यार से
खूब सारा बाजरा डाल देती हूँ
मिट्टी के पात्र में मुंडेर पर
कई जगह पानी रख देती हूँ
उनमें कहीं इसके लिए स्पर्धा न हो
मैं बहुत ध्यान से ये पात्र
खूब दूर दूर रखती हूँ !
गोरैया, कबूतर, तोते, बुलबुल,
कौए, मैना, बया और कभी कभी तो
कोयल भी मेरी छत पर खूब
मजलिस जमाते हैं !
मुंडेर पर बैठे फुदकते मटकते
खुशी खुशी कलरव करते इन
भाँति-भाँति के पंछियों को
मैंने कभी झगड़ते नहीं देखा !
किसने मंदिर के कलश पर बैठ कर
भजन गाया और किसने
मस्जिद की गुम्बद पर बैठ कर
अजान दी, किसने गुरुद्वारे की छत से
शब्द पढ़े और किसने गिरिजाघर की
मीनार पर बैठ कर हिम्स पढ़े
कोई बता नहीं सकता !
मेरी छत की मुंडेर इन पंछियों का
साझा आशियाना है, आश्रय स्थल है !
किसी भी किस्म के अंतर्विरोधों से परे
ये सारे पंछी यहाँ आकर हर रोज़
सह भोज का आनंद लेते हैं !
इनमें कोई ऊँच नीच, कोई अमीर गरीब
कोई छोटा बड़ा नहीं होता !
सब प्यार से हिलमिल कर रहते हैं
और सह अस्तित्व के सिद्धांत पर
निष्काम भाव से चलते हैं !
मुझे इन्हें इस तरह कलरव करते देख
बहुत आनंद मिलता है !
क्या हम इन परिंदों से
कुछ नहीं सीख सकते ?
क्या हम इन परिंदों की तरह
अपने सारे विरोध भूल
एक ही मुंडेर पर बैठ अपने अपने
गीत नहीं गुनगुना सकते ?
साधना वैद
सुंदर प्रेरक रचना आदरणीय साधना जी | मेरे यहाँ भी खुला आँगन है और पक्षियों की नई नइ प्रजातियाँ अक्सर दिख जाती है | वो भी शांत ,सौम्य रूप में | काश हम इंसानों में भी ये सद्गुण होते जिन्हें ना जाने क्यों मानवीय कहा जाता है | मानवों में वो सद्गुण बचे कहाँ जिनके आधार पर मानवीयता को नाम मिला | सुंदर काव्य चित्र के लिए हार्दिक शुभकामनाएं|
ReplyDeleteआपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद रेणु जी ! वास्तव में सर्वोत्कृष्ट जीवन मूल्यों का पाठ हमें इन पंछियों से सीखने की बहुत ज़रुरत है जिनके पास सद्भावना, प्यार और आनंद ही आनंद होता है बाँटने के लिए ! बहुत बहुत आभार आपका सुन्दर प्रतिक्रिया के लिए !
Deleteपंछियां मोहग्रस्त नहीं होते हैं न इसलिए एक आपस में बैर नहीं पालते
ReplyDeleteसच हैं काश कि हम इसने सबक ले पाते
बहुत अच्छी प्रस्तुति
हार्दिक धन्यवाद कविता जी ! हृदय से आभार आपका !
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ReplyDeleteजय मां हाटेशवरी.......
आप को बताते हुए हर्ष हो रहा है......
आप की इस रचना का लिंक भी......
23/08/2020 रविवार को......
पांच लिंकों का आनंद ब्लौग पर.....
शामिल किया गया है.....
आप भी इस हलचल में. .....
सादर आमंत्रित है......
अधिक जानकारी के लिये ब्लौग का लिंक:
https://www.halchalwith5links.blogspot.com
धन्यवाद
हार्दिक धन्यवाद कुलदीप भाई ! आपका बहुत बहुत आभार ! सादर वन्दे !
Deleteहार्दिक धन्यवाद शास्त्री जी ! आपका बहुत बहुत आभार ! सादर वन्दे !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! आभार आपका !
Deleteबहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteहृदय से धन्यवाद अनुराधा जी ! बहुत बहुत आभार !
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 24 अगस्त 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteआपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार दिग्विजय जी ! सादर वन्दे !
Deleteबेहद खूबसूरत रचना सखी।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद सुजाता जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteकाश की हम सीख सकें इन मूक पंछियों से जो अपने व्यवहार से ही बहुत कुछ सिखने के लिए छोड़ जाते हैं ... सुन्दर रचना है ...
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद नासवा जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
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