सुधियों का क्या ये तो यूँ ही घिर आती हैं
पर तुमने तो एक बार पलट कर ना देखा ।
जब चंदा ने तारों ने मेरी कथा सुनी
जब उपवन की कलियों ने मेरी व्यथा सुनी
जब संध्या के आँचल ने मुझको सहलाया
जब बारिश की बूँदों ने मुझको दुलराया ।
भावों का क्या ये तो यूँ ही बह आते हैं
पर तुमने तो एक बार पलट कर ना देखा ।
जब अंतर्मन में मची हुई थी इक हलचल
जब बाह्य जगत में भी होती थी उथल-पुथल
जब सम्बल के हित मैंने तुम्हें पुकारा था
जब मिथ्या निकला हर इक शब्द तुम्हारा था ।
नयनों का क्या ये तो बरबस भर आते हैं
पर तुमने तो एक बार पलट कर ना देखा ।
जब मन पर अनबुझ संतापों का फेरा था
जब जग की छलनाओं ने मुझको घेरा था
जब गिन गिन तारे मैंने काटी थीं रातें
जब दीवारों से होती थीं मेरी बातें ।
छालों का क्या ये तो यूँ ही छिल जाते हैं
पर तुमने तो एक बार पलट कर ना देखा ।
जब मन में धधका था इक भीषण दावानल
जब आँखों से बहता था इक सागर अविरल
जब दंशों ने था दग्ध किया मेरे दिल को
जब हटा न पाई मन पर पड़ी हुई सिल को ।
ज़ख्मों का क्या ये तो यूँ ही रिस जाते हैं
पर तुमने तो एक बार पलट कर ना देखा ।
चित्र - गूगल से साभार
साधना वैद
बहुत सुंदर
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! आभार आपका !
Deleteउत्तम भाव ।
ReplyDeleteसादर ।
हार्दिक धन्यवाद हर्ष जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteबहुत सुन्दर और भावप्रवण रचना।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद शास्त्री जी ! आपकी सराहना मिल गयी मेरा श्रम सार्थक हुआ ! आभार आपका !
Deleteभाव-विभोर करती रचना ! पर ''वैसे'' से कोई आशा भी क्यूँ रखना
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद महोदय ! बहुत बहुत आभार आपका !
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद गगन शर्मा जी ! आप ठीक कहते हैं ! लेकिन जब भ्रमों का मोहजाल टूटता है तब अंतर का धधकना स्वाभाविक है ! आभार आपका !
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी रचना
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद अनुराधा जी ! हृदय से आभार आपका !
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ReplyDeleteबहुत ही सुंदर हृदयस्पर्शी रचना दी ,सादर नमन आपको
हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार कामिनी जी ! रचना पाठकों के मन को छू जाए तो लेखन सफल हो जाता है !
Deleteआपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" सोमवार 10 अगस्त 2020 को साझा की गयी है......... पाँच लिंकों का आनन्द पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteउम्दा अभिव्यक्ति
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद गगन जी ! आभार आपका !
Deleteउम्दा सृजन |
ReplyDeleteहृदय से धन्यवाद एवं आभार आपका !
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