मेरा सोचा तुम सुन लो कब होता है ,
मेरा चाहा तुम चुन लो कब होता है ,
हम दो अलग-अलग राहों पर चलते हैं ,
हमराही बन साथ चलें कब होता है !
सपने तो मेरी आँखों ने देखे हैं ,
हाथों में मेरी किस्मत के लेखे हैं ,
सपने सारे कब किसके सच होते हैं ,
किस्मत मेरी तुम लिख दो कब होता है !
कितनी साध फुँकी दिल में तुम क्या जानो ,
कितना दग्ध हुआ अंतर तुम क्या जानो ,
चिर तृष्णा से शुष्क चटकते अधरों पर ,
स्वाति बूँद बन तुम बरसो कब होता है !
निर्जल गागर सा रीता जीवन मेरा ,
भीषण ज्वाला से झुलसा उपवन मेरा ,
उर प्रदेश की तप्त तृषित इस धरिणी पर ,
उमड़-घुमड़ रह-रह बरसो कब होता है !
दूर क्षितिज तक सिर्फ अँधेरा छाया है ,
मन परअवसादों का गहरा साया है ,
मेरे जीवन के सूने नीलांगन में
इन्द्रधनुष बन कर दमको कब होता है !
साधना वैद
मेरा चाहा तुम चुन लो कब होता है ,
हम दो अलग-अलग राहों पर चलते हैं ,
हमराही बन साथ चलें कब होता है !
सपने तो मेरी आँखों ने देखे हैं ,
हाथों में मेरी किस्मत के लेखे हैं ,
सपने सारे कब किसके सच होते हैं ,
किस्मत मेरी तुम लिख दो कब होता है !
कितनी साध फुँकी दिल में तुम क्या जानो ,
कितना दग्ध हुआ अंतर तुम क्या जानो ,
चिर तृष्णा से शुष्क चटकते अधरों पर ,
स्वाति बूँद बन तुम बरसो कब होता है !
निर्जल गागर सा रीता जीवन मेरा ,
भीषण ज्वाला से झुलसा उपवन मेरा ,
उर प्रदेश की तप्त तृषित इस धरिणी पर ,
उमड़-घुमड़ रह-रह बरसो कब होता है !
दूर क्षितिज तक सिर्फ अँधेरा छाया है ,
मन परअवसादों का गहरा साया है ,
मेरे जीवन के सूने नीलांगन में
इन्द्रधनुष बन कर दमको कब होता है !
साधना वैद
मेरे जीवन के सूने नीलांगन में
ReplyDeleteइन्द्रधनुष बन कर दमको कब होता है
bahut sundar bhav abhivyakt kiye hain is kavita ke dwara .aabhar
जो चाहो उसकी आकांक्षा ...उम्मीद ...कितनी गहरी चाहत है ...!!
ReplyDeleteमैं डूब ही गयी हूँ इस रचना के भावों में ...
बहुत सुंदर ,उत्कृष्ट अभिव्यक्ति है ...!!
badhai .
बहुत सुंदर शब्द चयन और भाव |इस भाव पूर्ण मन को छूती रचना के लिए हार्दिक बधाई |
ReplyDeleteआशा
मेरे जीवन के सूने नीलांगन में
ReplyDeleteइन्द्रधनुष बन कर दमको कब होता है
बहुत सुंदर गीत और गीत के माध्यम से अभिव्यक्त होती सुंदर भावनाएं. बहुत बढ़िया आभार.
कितनी साध फुँकी दिल में तुम क्या जानो ,
ReplyDeleteकितना दग्ध हुआ अंतर तुम क्या जानो ,
चिर तृष्णा से शुष्क चटकते अधरों पर ,
स्वाति बूँद बन तुम बरसो कब होता है !
जो मन चाहता है वो कब मिलता है ...इन भावों की पृष्ठभूमि पर सुन्दर रचना ...और यही नियति को स्वीकार कर बिता देते हैं ज़िंदगी ..
bhawbhini......dil ko choo gayee.
ReplyDeleteहोता वही है जो जीवन में लिखा होता है.
ReplyDeleteसपने तो मेरी आँखों ने देखे हैं ,
ReplyDeleteहाथों में मेरी किस्मत के लेखे हैं ,
सपने सारे कब किसके सच होते हैं ,
किस्मत मेरी तुम लिख दो कब होता है !
सारा सच उतर आया है शब्दों में
सुन्दर कविता
चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 07- 06 - 2011
ReplyDeleteको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
साप्ताहिक काव्य मंच --- चर्चामंच
"कितनी साध फुँकी दिल में तुम क्या जानो ,
ReplyDeleteकितना दग्ध हुआ अंतर तुम क्या जानो ,
चिर तृष्णा से शुष्क चटकते अधरों पर ,
स्वाति बूँद बन तुम बरसो कब होता है !"
सुन्दर अभिव्यक्ति...!!
जो मन चाहा वो कब होता है ...
ReplyDeleteमनमयूर नाच उठता है , जब होता है ...
बेहद सुन्दर भाव ...उदासी होकर भी दिल नहीं दुखते ..सुन्दर !
सुन्दर रचना.
ReplyDeleteसाधना जी इस प्रस्तुति के लिए सिर्फ एक शब्द ही काफी है - "गज़ब"
ReplyDeleteबेहतरीन....वाह!
ReplyDeleteएक भावपूर्ण सुन्दर रचना
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति्…..…. ह्र्दय से निकली सार्थक रचना……. धन्यवाद
ReplyDeleteनिर्जल गागर सा रीता जीवन मेरा ,
ReplyDeleteभीषण ज्वाला से झुलसा उपवन मेरा ,..
कुछ उदासी लिए ये भाव .. मन को दस्तक देते . ... सुंदर प्रस्तुति ...
सच है जो चाहो वह कब होता है.................भावभीनी प्रस्तुति
ReplyDeleteप्रवाहमयी सुन्दर रचना
ReplyDeleteनिर्जल गागर सा रीता जीवन मेरा ,
ReplyDeleteभीषण ज्वाला से झुलसा उपवन मेरा ,
उर प्रदेश की तप्त तृषित इस धरिणी पर ,
उमड़-घुमड़ रह-रह बरसो कब होता है !
ओह....क्या बात कही है...
इस गहन भावमय प्रवाहमय कविता ने तो बस मन ही बाँध लिया...
अतिसुन्दर अद्वितीय...क्या भाव क्या प्रवाह और क्या शिल्प...
दूर क्षितिज तक सिर्फ अँधेरा छाया है ,
ReplyDeleteमन परअवसादों का गहरा साया है ,
मेरे जीवन के सूने नीलांगन में
इन्द्रधनुष बन कर दमको कब होता है !
बहुत सुन्दर प्रवाहमयी प्रस्तुति..शब्दों और भावों का सुन्दर संयोजन...हर पंक्ति अंतर्मन को छू जाती है...आभार
मेरे जीवन के सूने नीलांगन में
ReplyDeleteइन्द्रधनुष बन कर दमको कब होता है
सुन्दर भावाव्यक्ति।
बधाई हो आपको - विवेक जैन vivj2000.blogspot.com