Sudhinama
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Thursday, January 9, 2014
बिखरे रंग
१
मौन रहती
अविरल बहती
जीवन धारा !
२
बादल छाये
फसल मुस्कुराये
हिया हर्षाये !
३
बरसा पानी
धरती हुलसानी
चूनर धानी !
४
प्रभु जो मिले
भावों के दीप जले
हृदय खिले !
५
हूँ सबल मैं
जीत लूँगी निराशा
प्रबल आशा !
६
पंथ दुर्गम
हुई राह निर्जन
साहसी मन !
साधना वैद
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