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Monday, July 19, 2010

क्या करूँ

क्या करूँ
मेरी कल्पना की उड़ान तो
मुक्त आकाश में
बहुत ऊँचाई तक उड़ना चाहती है
लेकिन मेरे पंखों में इतनी ताकत ही नहीं है
और मैं सिर्फ पंख
फड़फड़ा कर ही रह जाती हूँ !

क्या करूँ
मेरे ह्रदय में सम्वेदनाओं का ज्वार तो
बड़े ही प्रबल आवेग से उमड़ता है
लेकिन कागज़ पर लिखते वक्त
शब्दों का टोटा पड़ जाता है
और मेरी कविता
अधूरी ही रह जाती है !

क्या करूँ
मेरे संगीत के मनाकाश में
स्वरों का विस्तार तो
बहुत व्यापक होता है
लेकिन मेरे कण्ठ के स्वर तंत्र
इतना थक चुके हैं
कि मेरे गीत अनगाये, अनसुने
ही रह जाते हैं !

क्या करूँ
मेरे मन में पीड़ा तो
बहुत गहरी जड़ें जमाये बैठी है
लेकिन नयनों के बराज पर
पलकों के द्वार
सदा बंद ही रहते हैं
और मेरे आँसुओं का सैलाब
आँखों ही आँखों में कैद रह जाता है !

क्या करूँ
मेरे ह्रदय में भावनाओं का उद्वेग
तो बहुत तीव्र है
लेकिन अभिव्यक्ति के समय
अधर सिर्फ काँप कर ही रह जाते हैं
और मेरा प्यार
चट्टानों के नीचे बहते पानी की तरह
अनदेखा, अनछुआ खामोश ही
बह जाता है
और मैं पानी के
इतने करीब होते हुए भी
बिलकुल प्यासी, अतृप्त
और अधूरी सी खड़ी रह जाती हूँ !

साधना वैद

12 comments :

  1. और मेरा प्यार
    चट्टानों के नीचे बहते पानी की तरह
    अनदेखा, अनछुआ खामोश ही
    बह जाता है

    मन के अंतर्द्वंद्व को बखूबी शब्द दिए हैं....

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  2. बड़े ही प्रबल आवेग से उमड़ता है
    लेकिन कागज़ पर लिखते वक्त
    शब्दों का टोटा पड़ जाता है
    और मेरी कविता
    अधूरी ही रह जाती है !

    कहाँ अधूरी रही कविता.....इतने अच्छे से मन के अंतर्द्वंद्व को लिख डाला....

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  3. कागज पर लिखते शब्दों का टोटा पड़ जाता है ...
    ओह ...कितना बेबस हो जाते हैं ना ....
    पानी के पास आकर प्यासा रह जाना ....
    गीतों का अनकहा रह जाना
    कविता अधूरी ...
    प्रेम की यही कहानी है ....सुन्दरतम !

    आज चिडिया पर लिखा है , जिस भी ब्लॉग पर जा रही हूँ , चिडिया ही मिल रही है ...:):)

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  4. मन में उठते भावों का बहुत सुन्दर बर्णन किया है |
    बहुत सुन्दर शब्द चयन |बधाई |
    आशा

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  5. सुन्दर गीत...!!

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  6. बहुत सुंदर और उत्तम भाव लिए हुए.... खूबसूरत रचना......

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  7. हर स्तेंज़ा गज़ब का लिखा है...किस की तारीफ करू..किसे छोड़ दू...कुछ सलाह आपके हर पहरे पर...
    मेरी कल्पना की उड़ान तो
    मुक्त आकाश में .... मैं सिर्फ पंख
    फड़फड़ा कर ही रह जाती हूँ !

    अरे तो पिछली पोस्ट जैसे लिखी थी बिना टिकट लिए उडा लो न अपने मन को...वायु से भी तेज गति से.....(हा.हा.हा.)

    शब्दों का टोटा पड़ जाता है .....मार्केट में बहुत सी हिंदी की डीक्स्नारी भरी पड़ी हैं.

    मेरे गीत अनगाये, अनसुने
    ही रह जाते हैं ....रात को १० बजे के बाद ओल्ड इस गोल्ड के गीत सुना करो...सारी इच्छाए पूरी हो जाएँगी..

    आँसुओं का सैलाब
    आँखों ही आँखों में कैद रह जाता है ...आपके चेहरे पे फैली मुस्कराहट देख कर ऐसा लगता तो नहीं...

    पानी के
    इतने करीब होते हुए भी
    बिलकुल प्यासी, अतृप्त
    और अधूरी सी खड़ी रह जाती हूँ !
    .....ऐसा मत करना...दुनिया में आप प्यार बांटने के लिए आई हो सबको अपना प्यार बांटती चलो...कभी कम मत पड़ने देना...हमारे लिए भी नहीं...

    चलो मजाक एक तरफ रहा...

    लेकिन सच में कविता बहुत ही अच्छी है और सच बात तो ये है की हमारे तुम्हारे सब के मन की बात है...सब के साथ ऐसा ही होता हें.लेकिन इन एहसासों को आपने इतने सुंदर शब्दों के मोतियों से सजाया हें तो शब्दों की कमी कहाँ पड़ी.

    बधाई सुंदर रचना के लिए.

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  8. कल्पना और यथार्थ में वही अंतर होता है जो मेरी पिछली पोस्ट और इस पोस्ट में है ! कहते हैं ना जहाँ न पहुँचे रवि
    वहाँ पहुँचे कवि !
    सो हम भी पिछली पोस्ट में खूब सैर कर आये और वह भी बिना टिकिट ! लेकिन फिर जब यथार्थ के धरातल पर उतरे तो इस पोस्ट ने आकार लिया ! और मुस्कुराहट तो चहरे पर आना लाजिमी है ! सात साल पुरानी फोटो है जब पहली-पहली बार अपने पोते को गोदी में लिया था ! वैसे आपके कमेंट ने दिल खुश कर दिया ! बहुत बहुत धन्यवाद !

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  9. हम तो कुछ नहीं कर रहे हैं चुपचाप इस कविता का आनन्द ले रहे हैं ।

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  10. बीना शर्माJuly 22, 2010 at 5:52 PM

    वाह दीदी | आपसे तो यह आशा नहीं थी कि आपको शब्दों का टोटापडेगा |
    अपने प्यार को अभिव्यक्ति जरूर दीजिए वरना मन में बहुत पछतावा रह जाएगा |
    सुन्दर कविता

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  11. sadhana ji ,
    \maine bahut der se aapki kavitaye padh raha hoon .. kis par comment doon isi uljhan me tha .. is kavita ne man moh liya..bahut hi acche bhaavo se sazi hui kavita hai .. meri badhayi sweekar kare..

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