पितृ दिवस की आप सभीको हार्दिक शुभकामनायें !
पिता
एक ऐसा जुझारू व्यक्तित्व
जिसने चुनौतियों से
कभी हार न मानी
हर मुश्किल घड़ी में
वह और मज़बूत होकर निखरा
हर विपदा को अपने ध्रुव इरादों से
जिसने चूर चूर करने की ठानी !
पिता
एक ऐसा सहृदय इंसान
जिसने अपनी कोमल भावनाओं को
हमेशा सीप की तरह
एक कठोर आवरण में छिपा कर रखा
जो अपने बच्चों के लिये
कभी गुरू बना तो
कभी बंधु और कभी सखा !
पिता
एक ऐसा सम्पूर्ण व्यक्तित्व
जिसने अकेले ही अपने बलिष्ठ कन्धों पर
गृहस्थी का जुआ रखा
अपनी मेहनत, अपनी लगन
और अपने समर्पण से
हर अनुकूल और प्रतिकूल मौसम में
इतनी फसल उगाई कि
अपने घर परिवार, नाते रिश्तेदार के अलावा
किसी भी अतिथि किसी भी साधू को
कभी भूखा न रखा !
पिता
एक ऐसा ज्योतिपुन्ज
जिसका प्रकाश चौंधियाता नहीं
राह दिखाता है,
एक ऐसा शक्तिपुंज
जिसकी ताकत आतंकित नहीं करती
हमारी क्षमता को बढ़ाती है,
एक ऐसा प्रेमपुन्ज
जिसका प्यार हमारे व्यक्तित्व को
दबाता नहीं
विकसित करता है
निखारता है, उभारता है,
हमें सम्पूर्ण बनाता है
बिलकुल अपनी ही तरह !
साधना वैद
हार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! आभार आपका !
ReplyDeleteबेहतरीन प्रस्तुति...
ReplyDeleteपिता
एक ऐसा जुझारू व्यक्तित्व
सलाम करते हैं..
पितृ दिवस पर शुभकामनाएं..
सादर नमन..
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (17-06-2019) को "पितृत्व की छाँव" (चर्चा अंक- 3369) (चर्चा अंक- 3362) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
पिता दिवस की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार शास्त्री जी ! सादर वन्दे !
ReplyDeleteपिता का बखान करती बेहतरीन रचना दी जी
ReplyDeleteसादर
पितृ दिवस पर सुंदर रचना..
ReplyDeleteहर विपदा को अपने ध्रुव इरादों से
ReplyDeleteजिसने चूर चूर करने की ठानी !....वाह पितृभाव का इतना सुंदर चित्रण...बहुत बढ़िया साधना जी
हार्दिक धन्यवाद अनीता जी ! आभार आपका !
ReplyDeleteआपका बहुत बहुत आभार अनीता जी ! हृदय से धन्यवाद !
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद अलकनंदा जी ! तहे दिल से आभार आपका !
ReplyDelete