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Thursday, September 5, 2019

ज़िंदगी का फलसफा


बोलो तो ज़रा   
किसने सुझाई थी तुम्हें ये राह
किसने दिखाई थी ये मंज़िल
किसने आँखों के सामने से
चहुँ ओर फैले जाले हटाये थे ?
ज़िंदगी गिटार या वायोलिन पर
बजने वाली एक मीठी धुन
भर ही नहीं है
ज़िंदगी एक अनवरत जंग है,
संघर्ष है, चुनौती है, स्पर्धा है
एक कठिन इम्तहान है 
यह एक ऐसी अथाह नदी है
जिसे पार करने के लिए
जो इकलौता पुल है वह भी
टूट कर नष्ट हो चुका है
यह एक ऐसा अलंघ्य पर्वत है
जिसके दूसरी ओर जाना
इसलिए मुमकिन नहीं क्योंकि
तुम्हारे पास
शिखर तक जाने के लिए
ना तो पर्याप्त प्राण वायु है  
ना ही यथोचित साधन !
क्या करना चाहते हो
एहसानमंद हो उस शख्स के
कि उसने तुम्हें
सही वक्त पर चेता कर
तुम्हें सत्य के दर्शन करा दिए
और तुम्हें तुम्हारी
औकात और कूवत से
   परिचित करा दिया ?   
या उसकी गर्दन दबोचना चाहते हो
कि सत्य से मुँह चुरा कर
कल्पना के मिथ्या संसार में जीकर
खुद को सूरमा समझ लेने के
एक और खुशनुमां एहसास को
जी लेने के शानदार मौके से
तुम्हें वंचित कर दिया ?  
बोलो क्या चुनना चाहते हो तुम ?
यथार्थ या कल्पना
सत्य या मिथ्या
सही या ग़लत
क्या है तुम्हारा पाथेय ?
क्या है तुम्हारा गंतव्य ?
क्या है तुम्हारा लक्ष्य ?
जब किसी नतीजे पर पहुँच जाओ
तो मुझे भी ज़रूर बताना !


चित्र --- गूगल से साभार 

साधना वैद   

12 comments :

  1. व्वाहहहह...
    बेहतरीन..
    यथार्थ या कल्पना
    सत्य या मिथ्या
    सही या ग़लत
    क्या है तुम्हारा पाथेय ?
    सादर...

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    Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद दिग्विजय जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  2. Replies
    1. दिल से धन्यवाद ऋतु जी ! आभार आपका !

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  3. बहुत खूब लिखा है साधना |

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    Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद जीजी ! बहुत बहुत आभार !

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  4. जी नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (07-09-2019) को "रिश्वत है ईमान" (चर्चा अंक- 3451) पर भी होगी।


    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    आप भी सादर आमंत्रित है
    ….
    अनीता सैनी

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  5. जी ह्रदय से आपका बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी ! सप्रेम वंदे !

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  6. वाह, बहुत खूब

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  7. सुन्दर रचना

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  8. जी ! आपका तहे दिल से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार श्वेता जी ! सप्रेम वंदे !

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  9. ज़िंदगी एक अनवरत जंग है,
    संघर्ष है, चुनौती है, स्पर्धा है
    एक कठिन इम्तहान है
    बहुत सुन्दर... सटीक...

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