नन्ही गौरैया
सतत कर्मरत
निर्विकार सी
बीना करती
चुन चुन के दाने
होशियार सी
उड़ा करती
सजग प्रहरी सी
चूज़ों के पास
रक्षा करती
चोट न पहुँचा दें
चील या बाज़
न पाती कुछ
न अपेक्षा ही कोई
दायित्वबोध
माँ की ममता
नन्हे चूज़ों के लिये
वात्सल्य बोध
गाती है गीत
प्रेम रस में पगे
मुक्त कंठ से
चलती सदा
निष्काम लगन के
पुण्य पंथ पे
देती संदेश
जगत को प्रेम का
नन्ही गोरैया
बनी हो गुरू
नमन है तुमको
प्यारी गौरैया |
साधना वैद
आपकी लिखी रचना ब्लॉग "पांच लिंकों का आनन्द" पर सोमवार 21 मार्च 2022 को लिंक की जाएगी ....
ReplyDeletehttp://halchalwith5links.blogspot.in पर आप सादर आमंत्रित हैं, ज़रूर आइएगा... धन्यवाद!
!
हार्दिक धन्यवाद रवीन्द्र जी ! बहुत बहुत आभार आपका ! सादर वन्दे !
Deleteनमस्ते,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार (21 मार्च 2022 ) को 'गौरैया का गाँव में, पड़ने लगा अकाल' (चर्चा अंक 4375 ) पर भी होगी। आप भी सादर आमंत्रित है। 12:01 AM के बाद आपकी प्रस्तुति ब्लॉग 'चर्चामंच' पर उपलब्ध होगी।
चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।
यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
#रवीन्द्र_सिंह_यादव
आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार रवीन्द्र जी ! सादर वन्दे !
Deleteनन्ही गौरैया के सम्पूर्ण अस्तित्व को बहुत ही सार्थकता के साथ परिभाषित करती रचना | काश ये गौरैया पहले की तरह हर जगह नज़र आये |
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद आपका रेणु जी ! बहुत बहुत आभार !
Deleteबङी प्यारी अर्थपूर्ण कविता ।
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया नूपुरम जी ! आभार आपका !
Deleteहार्दिक आभार आपका ज्योति जी ! बहुत बहुत धन्यवाद !
Deleteहार्दिक धन्यवाद ओंकार जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
ReplyDeleteसुन्दर हाइकू |
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