जाने
क्या बात है हर बात पे जी जलता है ,
तेरा
गम दिल की इन पनाहों में ही पलता है !
तेरी
यादें ही थमा जाती हैं जीने की वजह ,
वरना
बेवजह भला कौन जिया करता है !
न
कोई आस, ना उम्मीद, ना कोई वादा ,
बस
एक चिराग है दिन रात जला करता है !
न
कोई हमसफर, न दूर तक कोई मंज़िल ,
बस
एक साया है जो साथ चला करता है !
कहो
सुनाऊँ इसे कब तलक झूठे किस्से ,
सयाना
हो चुका ये दिल कहाँ बहलता है !
कि
गुज़रे लम्हों की हर याद नक्श है दिल पर ,
कि
बीता वक्त तुझे साथ लिये चलता है !
बता दे तू ज़रा कि हम कहाँ रहें जाकर ,
क्या
कोई हम सा तेरे आस-पास रहता है !
हमें
तो चलते ही जाना है दौरे सहरा में ,
तेरे
जहान पर नूरे खुदा बरसता है !
या
खुदा हो चुकी है इन्तहा गुज़ारिश की ,
इन्हें क़बूलने से क्यों भला तू डरता है !
साधना
वैद
यादों कि सौगातें ...
ReplyDeleteमिटती कहाँ हैं प्यार की बातें ....!!
बहुत सुन्दर रचना ....साधना जी ...
बहुत भाव प्रबल ...!!
गर एक चिराग जले रात दिन तो काफी है
ReplyDeleteएक साया भी रहे साथ तो काफी है
बहुत सुंदर गज़ल
आपकी यह प्रविष्टि कल दिनांक 25-03-2013 को सोमवारीय चर्चामंच पर लिंक की जा रही है। सादर सूचनार्थ
ReplyDeleteबीता वक्त जब साथ चलता है तो यादों के साथ वह भी तो !
ReplyDeleteया खुदा हो चुकी है इन्तहा गुज़ारिश की ,
इन्हें क़बूलने से क्यों भला तू डरता है !
बेहतरीन
न कोई हमसफर, न दूर तक कोई मंज़िल ,
ReplyDeleteबस एक साया है जो साथ चला करता है !
कहो सुनाऊँ इसे कब तलक झूठे किस्से ,
सयाना हो चुका ये दिल कहाँ बहलता है
अद्धभुत अनुभूति हुई मुझे
सादर !!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
ReplyDeleteआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि-
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा आज सोमवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ...सादर!
सुन्दर सौगात, सुन्दर रचना,**** या खुदा हो चुकी है इन्तहा गुज़ारिश की ,
ReplyDeleteइन्हें क़बूलने से क्यों भला तू डरता है !
तेरी यादें ही थमा जाती हैं जीने की वजह ,
ReplyDeleteवरना बेवजह भला कौन जिया करता है ! ...
यादों की पोटली बड़े जतन से बाँध सिरहाने रखी
अब जब कमरा भी शांत रहने लगा है
तो एक एक करके यादें निकलती हूँ - बीते दिन जी लेती हूँ
तेरी यादें ही थमा जाती हैं जीने की वजह ,
ReplyDeleteवरना बेवजह भला कौन जिया करता है ! .
वाह ... बेहतरीन
कहो सुनाऊँ इसे कब तलक झूठे किस्से ,
ReplyDeleteसयाना हो चुका ये दिल कहाँ बहलता है !
कि गुज़रे लम्हों की हर याद नक्श है दिल पर ,
कि बीता वक्त तुझे साथ लिये चलता है !
बहुत सुंदर गज़ल
बहुत ही बेहतरीन प्रस्तुतीकरण,आभार.
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत ग़ज़ल...
ReplyDelete~सादर!!!
कहो सुनाऊँ इसे कब तलक झूठे किस्से ,
ReplyDeleteसयाना हो चुका ये दिल कहाँ बहलता है !
कि गुज़रे लम्हों की हर याद नक्श है दिल पर ,
कि बीता वक्त तुझे साथ लिये चलता है !
..बहुत अच्छी लगी ग़ज़ल ..
कि गुज़रे लम्हों की हर याद नक्श है दिल पर ,
ReplyDeleteकि बीता वक्त तुझे साथ लिये चलता है !
बता दे तू ज़रा कि हम कहाँ रहें जाकर ,
क्या कोई हम सा तेरे आस-पास रहता है !
hr sher lajbab .....bahut bahut badhai es lajbab gajal ke liye ...sath hi holi pr hardik subhkamnayen.
न कोई हमसफर, न दूर तक कोई मंज़िल ,
ReplyDeleteबस एक साया है जो साथ चला करता है !
...वाह! बहुत उम्दा...होली की हार्दिक शुभकामनायें!
आपको और परिवार के सभी सदस्यों को होली की खुब सारी शुभकामनाये इसी दुआ के साथ आपके व आपके परिवार के साथ सभी के लिए सुखदायक, मंगलकारी व आन्नददायक हो। आपकी सारी इच्छाएं पूर्ण हो व सपनों को साकार करें। आप जिस भी क्षेत्र में कदम बढ़ाएं, सफलता आपके कदम चूम......
ReplyDeleteसुगना फाउंडेशन -मेघलासिया परिवार की ओर होली की खुब सारी हार्दिक शुभकामनाएँ.. .......सवाई आगरा
यादें... जीने का सहारा...गहन अनुभूति...
ReplyDeleteहोली के रंग आपके जीवन को नए हर्ष और उल्लास से भर दें. होली की बहुत-बहुत बधाई और ढेर सारी शुभकामनायें ....
अविश्वसनीय| बहुत ही शानदार
ReplyDeleteहमें तो चलते ही जाना है दौरे सहरा में ,
ReplyDeleteतेरे जहान पर नूरे खुदा बरसता है !
wah.. ek se badh kar ek..
khubsurat..
बहुत एकाकी भाव से पूर्ण पंक्तियां, सुन्दर।
ReplyDeleteतेरी यादें ही थमा जाती हैं जीने की वजह ,
ReplyDeleteवरना बेवजह भला कौन जिया करता है ! ...
प्रबल भाव सार्थक प्रस्तुति.
बहुत ही सुन्दर और भाव पूर्ण रचना
ReplyDelete"बता दे तू ज़रा कि हम कहाँ रहें जा कर
क्या कोइ हम सा तेरे आस पास रहता है "
बहुत सुन्दर भाव |
आशा
तेरी यादें ही थमा जाती हैं जीने की वजह ,
ReplyDeleteवरना बेवजह भला कौन जिया करता है ! .
वाह ... बेहतरीन बहुत ही सुन्दर
बहुत खूब
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