Followers

Friday, January 20, 2012

ओपरा विनफ्रे और हमारा आगरा

कल अमेरिका की मशहूर टी वी होस्ट ओपरा विनफ्रे आगरा आईं ! उन्होंने ताजमहल देखा और उस पर अपने शो के लिये डॉक्यूमेंट्री फिल्म भी बनाई ! इससे पूर्व वे वृंदावन भी गयी थीं और जहाँ पर उन्होंने विधवा आश्रमों में संत्रास का जीवन बिताने वाली विधवाओं की दुर्दशा का भी जायज़ा लिया ! उनसे बातचीत कर उनके दुखड़ों को सुना, उनकी जीवनचर्या की जाँच पड़ताल की और उन्हें क्या सुविधाएँ उपलब्ध कराई जा रही हैं इस पर भी अपनी पैनी नज़र डाली ! हमें पूरा विश्वास है ओपरा के आगमन का समाचार सुन कर इन आश्रमों के व्यवस्थापकों एवं संचालकों ने आश्रम के परिसरों और उनमें रहने वाले बाशिंदों के निस्तेज चेहरों को चमकाने की भरपूर कोशिश की होगी लेकिन कोई कितना भी छिपाने की चेष्टा कर ले चेहरों की झुर्रियाँ और शरीर के हर अंग से उभरी हड्डियाँ अपनी दुर्दशा की दास्तान खुद कह देती हैं ! ओपरा संचालकों की इस मशक्कत से कितनी भ्रमित हुईं, उन्होंने क्या देखा, क्या समझा और क्या फिल्माया यह तो उनका शो देख कर ही पता लगेगा लेकिन वे जो कुछ यहाँ कह गयीं वह हमारा सिर शर्मिंदगी से झुकाने के लिये पर्याप्त है !

वृन्दावन के अपने इस अभियान के बाद वे सड़क मार्ग से आगरा पहुँचीं ! इस क्षेत्र में रहने वाले निवासी उस मार्ग की दुर्दशा से भलीभाँति परिचित होंगे ! सारे मार्ग में जगह-जगह गन्दगी और कूड़े के अम्बार लगे हैं ! रास्ते पर मवेशी बेलगाम घूमते रहते हैं जो निश्चित रूप से उनके लिये बड़ा शॉकिंग अनुभव रहा होगा ! सड़कों पर बेतरतीब ट्रैफिकिंग की वजह से बार-बार जाम लग जाना तो साधारण सी बात है जिसे हमारे यहाँ बड़े धैर्य के साथ बर्दाश्त करने की आदत सबने डाल ली है ! ओपरा को ताजमहल बहुत सुन्दर लगा लेकिन आगरा शहर की गन्दगी उन्हें चौंका गयी ! आज के दैनिक जागरण की हेडलाइन उन्हीं के इस उद्गार को प्रतिध्वनित कर रही है, ‘काश ! गंदा न होता आगरा !’ उन्होंने कहा कि यदि यह शहर भी ताजमहल की तरह सुन्दर होता तो पूरा विश्व यहीं रह रहा होता ! समाचार पत्र का कहना है कि नेताओं के गाल पर तमाचे की तरह हैं अमेरिकी अदाकारा की बातें ! ओपरा ने अपने एक साक्षात्कार में रास्ते में कई जगह मिले जाम, गन्दगी और सड़कों पर लावारिस घूमते गधों और भैंसों का भी ज़िक्र किया ! उनका यह मानना है कि यह शहर गन्दगी और समस्याओं से घिरा हुआ है !

आगरा शहर पर्यटन की दृष्टि से विश्व का एक महत्वपूर्ण शहर है ! यहाँ आने वाले पर्यटकों को किन मुश्किलों का सामना करना पड़ता है इसके बारे में मैंने एक बार पहले भी अपने एक आलेख, ‘अतिथी देवो भव’, में लिखा था ! पाठकों की सुविधा के लिये उसका लिंक यहाँ दे रही हूँ !

http://sudhinama.blogspot.com/2009/08/blog-post.html

विश्व के सबसे बड़े शो की सबसे नामचीन हस्ती के मुख से अपने शहर के बारे में इतने स्पष्ट उद्गार सुन कर क्या हमारे नगरवासियों की आँखें खुलेंगी ? क्या यहाँ का नगरनिगम, पर्यटन गिल्ड और विकास प्राधिकरण कुछ हरकत में आयेगा या सिर्फ अपना गाल सहला कर इस चोट को भुला देगा ?

साधना वैद

11 comments :

  1. विश्व के सबसे बड़े शो की सबसे नामचीन हस्ती के मुख से अपने शहर के बारे में इतने स्पष्ट उद्गार सुन कर क्या हमारे नगरवासियों की आँखें खुलेंगी ? क्या यहाँ का नगरनिगम, पर्यटन गिल्ड और विकास प्राधिकरण कुछ हरकत में आयेगा या सिर्फ अपना गाल सहला कर इस चोट को भुला देगा ?


    भुला ही तो देते हैं हम ... न सरकार सफाई का ध्यान रखती है और न ही जनता .. इसके लिए कड़े कानून और उनका सख्ती से पालन होना चाहिए ..

    ReplyDelete
  2. बेहद सार्थक लेख...
    सच में बहुत गन्दगी है हमारे देश में...हर जगह...कहीं कम कहीं ज्यादा है...मगर गन्दा सारा देश है..
    प्रशासन/नेताओं को दोष देना तो खैर जायज़ है...मगर हर नागरिक भी जिम्मेदार है...
    हम आप भी पोलीथीन बैग ना इस्तेमाल करें...चिप्स के पैकेट कार से बाहर ना उडाये..सिगरेट/पान का आप क्या करते हैं...???और सुसु आई अगर तब????????बाप रे पूरे देश की मरम्मत ज़रुरी है....ओपेरा विनफ्री कहें तभी एहसास होगा ??? .
    बहुत बढ़िया लिखा आपने...पढ़ कर गुस्सा आया...शायद ये गुस्सा सारे देशवासियों को आये तब बात बने.
    सादर.

    ReplyDelete
  3. बहुत ही सारगर्भित लिखा है ...
    विश्व के सबसे बड़े शो की सबसे नामचीन हस्ती के मुख से अपने शहर के बारे में इतने स्पष्ट उद्गार सुन कर क्या हमारे नगरवासियों की आँखें खुलेंगी ? क्या यहाँ का नगरनिगम, पर्यटन गिल्ड और विकास प्राधिकरण कुछ हरकत में आयेगा या सिर्फ अपना गाल सहला कर इस चोट को भुला देगा ?

    ReplyDelete
  4. जब तक आदमी ईश्वर के प्रति अपनी जवाबदेही को नहीं समझेगा वह सुधरने वाला नहीं है,
    आगरा की गंदगी के बारे में पहले भी इस तरह की बातें विदेशी पर्यटक कह चुके हैं. पहले भी आंख नहीं खुली तो अब क्या खुलेगी. यह अकेले सरकार के बस की बात नहीं है. हम सभी नागरिकों की जो आदतें हैं उनसे लड़ना किसी सरकार के बस की बात नहीं है. भारत की सभ्यता की बातें केवल आत्मसंतुष्टि के लिए ही की जाती हैं. कोई बताएगा कि हम कभी विश्वगुरू थे.
    होंगे,
    लेकिन आज तो विश्व शिष्य है भारत.
    जो भी आता है हमें सीख देकर जाता है और हम ईमानदारी से देखते हैं तो वाक़ई हमारे अंदर कमी होती है.
    एक प्रवासी लेखक तेजेंद्र शर्मा ने अपने ताज़ा इंटरव्यू में इसी तरह की बातें कही हैं और उन्होंने ब्रिटेन को भारत से बेहतर बताया है.
    आंख खोलकर देखने की ज़रूरत है.
    आत्म मुग्ध होगर भूतकाल की डींग हांकने से कुछ होने वाला नहीं है और भूतकाल को भी ढक दिया गया है इसलिए डींग चल जाती है.
    हम चाहते हैं कि अपनी टोन को बदल दें,
    क्या फ़ायदा ऐसी बात कहने से कि लोग पास आने के बजाय बिदक कर छिटक जाएं,
    क्यों नहीं हम भी गोल मोल बात करके निकल आते,
    लेकिन तब क्या विमर्श हो पाएगा और क्या सुधार हो पाएगा ?,
    हमें न तो किसी की टिप्पणी पानी है और न ही यहां कोई ग्रुप खड़ा करना है,
    हम सत्य के साक्षी हैं और यही साक्षी हमें देनी है.
    जिसके कान होंगे वह सुन लेगा,
    जिसके पास बुद्धि होगी वह विचार कर लेगा,
    जिसकी लगन सत्य के लिए होगी वह पा ही लेगा
    और जो नाम शोहरत और पैसे के लिए यहां मौजूद हैं या जो राजनीति कर रहे हैं वे मरकर ख़ुदा, गॉड, ईश्वर को अपने कर्मों का हिसाब ख़ुद देंगे.
    जब तक आदमी ईश्वर के प्रति अपनी जवाबदेही को नहीं समझेगा वह सुधरने वाला नहीं है,
    नैतिकता की दुहाई का असर यहां किसी पर पड़ते हमने देखा ही नहीं.

    एक अच्छी पोस्ट के लिए आपका आभार .

    See
    'Love Jihad' उर्फ़ नाच न जाने आंगन टेढ़ा
    http://ahsaskiparten.blogspot.com/2012/01/love-jihad.html

    ReplyDelete
  5. अच्छा लेख |सार्थक सोच |
    आशा

    ReplyDelete
  6. ‘काश ! गंदा न होता आगरा !’ ओप्रा विनफ्रे की यह पंक्तियाँ बिलकुल सच हैं। हाथी घाट,किले के पास और कछपुरा के अलावा बहुत सी ऐसी जगह हैं जहां से नदी किनारे ताज की सुंदरता पर दाग बनी गंदगी के फोटो लेते विदेशी दिख जाएंगे।

    काश कि आगरा के जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारी अपनी ज़िम्मेदारी को समझें।


    सादर

    ReplyDelete
  7. आदरणीय मौसीजी, सादर वन्दे. आज आपकी पोस्ट में नाराजगी और झुंझलाहट झलक रही है जो कि स्वाभाविक है | पर मुझे पूरा यकीन है कि इस तरह के वक्त्व्ययों कि आदत अब सभी को हो चली है और हम नहीं बदलने वाले | इन सब स्थितियों के लिए हम सभी कहीं न कहीं दोषी भी हैं जो कुछ समय बाद सब कुछ भूल जाते हैं, क्या करें ?

    ReplyDelete
  8. ye bharat hain janab aur videshi jo hamare bare mein sochte hain hum use sahi sabit karne par tule hain
    chahe to safai kar unahe galat saabit kar sakte hain
    par kyo kare aakhir mehmaan ko koi galat sabit karta hain kya

    ReplyDelete
  9. साधना जी कैसी हैं आप? बहुत दिन की गैरहाज़िरी के लिये क्षमा चाहती हूँ। सरकार तो जो करे न करे मगर हम खुद भी कहाँ जागरुक हैं सफाई के लिये आप रेलवये मे अस्पताल मे या और कहीं भी चले जायें गंदगी के सिवा कुछ नही मिलेगा।शासकों को तो ए सी मे बैठ कर कुछ दिखता ही नही। मै तो कहती हूँ सब ए सी बन्द होने चाहिये क्कम से कम धूप सेंकने के बहाने अफसर बाहर तो निकलेंगे और उन्हें गन्दगी दिखाई देगी तो कुछ तो करेंगे ही।

    ReplyDelete
  10. आपकी पोस्ट ब्लोगर्स मीट वीकली (२7) में शामिल की गई है /आप इस मंच पर पधारिये/और अपने विचारों से हमें अवगत करिए /आपका आशीर्वाद हमेशा इस ब्लोगर्स मीट को मिलता रहे यही कामना है /आभार /लिंक है /
    http://www.hbfint.blogspot.com/2012/01/27-frequently-asked-questions.html

    ReplyDelete