आज
२३ अप्रेल २०१२ के दैनिक जागरण में एक अच्छा समाचार पढ़ने के लिये मिला ! जानकारी
मिली कि फ्रांस के पूर्व उपनिवेश पाण्डुचेरी में फ्रांसीसी नागरिकता वाले ५७००
मतदाता आज भी रहते हैं और उन्होंने २२ अप्रेल रविवार को होने वाले फ्रांस के
राष्ट्रपति के चुनाव के लिये मतदान में बढ़ चढ़ कर भाग लिया ! उनकी सुविधा के लिये फ्रांसीसी
दूतावास ने ना केवल कई मतदान केन्द्र बनाये बल्कि वृद्ध एवं बीमार लोगों को
केन्द्रों तक पहुँचाने के लिये वाहन की व्यवस्था भी की ! सुखद अहसास हुआ कि
फ्रांसीसी लोग अपने नागरिकों के वोट की कीमत समझते भी हैं और उसका सम्मान भी करते
हैं !
तभी
मेरा विदेशों में बसे भारतीय नागरिकों की तरफ भी ध्यान गया जिनको इस प्रकार की
सुविधा उपलब्ध नहीं है ! वैसे तो कहा जाता है कि जिस प्रकार आलू और प्याज दुनिया
के हर कोने में मिल जाते हैं उसी प्रकार भारतीय भी दुनिया के हर हिस्से में बसे
हुए मिल जाते हैं ! लेकिन भारतीय नागरिकों को वोट देने की सुविधा कम से कम उन
देशों में तो मिलनी ही चाहिये जहाँ एक लाख से अधिक भारतीय नागरिक बसते हैं ! यहाँ
पर चर्चा सिर्फ भारतीय नागरिकों की हो रही है भारतीय मूल के लोगों की नहीं, जिनकी
संख्या तो वास्तव में बहुत बड़ी है लेकिन क्योंकि वे उन देशों की नागरिकता लेकर
वहाँ वोट देने का अधिकार प्राप्त कर चुके हैं इसलिए आज की चर्चा में वे इस सूची
में सम्मिलित नहीं हैं ! ऐसे देश, जहाँ एक लाख से अधिक एन. आर. आई. बसे हुए हैं,
उनके नाम इस प्रकार हैं --
-
ऑस्ट्रेलिया
---------२.२५ लाख
बहरीन
-------------३.५ लाख
कनाडा
-------------२.० लाख
कुवैत
--------------६.० लाख
मलेशिया
-----------१.५ लाख
नेपाल
--------------१.२ लाख
ओमान
-------------५.५ लाख
क़तर
---------------५.० लाख
साउदी
अरब --------१८.० लाख
सिंगापुर
------------२.७ लाख
यू.ए.ई.
-------------१७.० लाख
अमेरिका
----------- ९.३ लाख
यू.
के. में १५.० लाख भारतीय मूल के लोग रहते हैं जिनमें से लगभग ४०% एन. आर. आई. हैं !
विदेशों
में बसे भारतीय भी अपने देश के महत्वपूर्ण मतदाता हैं और वास्तव में वे भारत की
समस्याओं और राजनीति को पूरी तरह से समझते हैं ! अमेरिका में बसे अपने बेटे के पास
कई बार मेरा जाना हुआ है और वहाँ कई अवसर ऐसे आये जब विशिष्ट समारोहों में या
घरेलू पार्टीज़ में वहाँ बसे अनेकों भारतीयों से मिलने का मौक़ा मिला ! जिस बात ने
सबसे अधिक मुझे प्रभावित किया वह यही थी कि वे भी अपने देश के लिये चिंतित रहते
हैं और देश की समस्याएँ उन्हें भी विचलित करती हैं ! यहाँ के सरकारी तंत्र, अर्थ
व्यवस्था, सामाजिक एवं राजनैतिक फलक पर सुर्ख़ियों में रहने वाली खबरें उन्हें भी
उतना ही उद्वेलित करती हैं जितना यहाँ रहने वाले देशवासियों को ! फिर उनको मतदान के
अधिकार से क्यों वंचित रखा जाता है ! क्या हमें भी फ्रांस से प्रेरणा लेकर इस दिशा
में आवश्यक कदम नहीं उठाने चाहिये ?
हमको
तो अब उस विचार को भी आगे बढ़ा कर कार्य रूप देना चाहिये जिसमें भारतीय मूल के
विदेशी नागरिकों को द्विदेशीय नागरिकता दिये जाने का प्रस्ताव काफी समय से लम्बित
पड़ा हुआ है ! विदेशी नागरिकता वाले भारतीयों को भारतीय नागरिकता देने के लिये उसी
प्रकार कड़ी खोजबीन की जाये जिस प्रकार हम विदेशियों को वीजा देने से पहले करते हैं
! अनेक देशों में यह व्यवस्था अपनाई जा चुकी है ! इस विषय पर भी निर्णायक विचार
विमर्श होना ही चाहिये !
साधना
वैद
is jaankari ne bahut kuch bataya
ReplyDeleteअच्छी जानकारी देता आर्टिकल |
ReplyDeleteआशा
बहुत ही अच्छी जानकारी है...सरकार को इस दिशा में गंभीरता से सोचना चाहिए
ReplyDeleteजानकारीपरक विचारणीय आलेख्।
ReplyDeleteआदरणीय मौसीजी ,सादर वन्दे; आजी की सार्थक और महत्वपूर्ण जानकारी आपके ब्लॉग के माध्यम से मिली.वैसे भी जब भारत में रहवासी ही उपेक्षा के शिकार हैं तो शेष के बारे में क्या कहें।
ReplyDeleteजानकारी से भरा लेख ... एक अहम विषय पर आपने सोचा है ...सरकार को इस पर कदम उठाने चाहिए ... लेकिन हमारी सरकार के कदम तो ऐसे होते हैं की यहाँ रहने वालों को भी वोट देने का अधिकार नहीं होता ॥कभी लिस्ट में नाम नहीं होता तो कभी कोई और हमारे नाम से वोट डाल देता है ... मैं तो स्वयं भुक्त भोगी हूँ दोनों ही बातों की ....
ReplyDeleteअच्छी जानकारी....विचारणीय आलेख्।
ReplyDeleteबहुत बढ़िया सार्थक जानकारी देती प्रस्तुति,.....
ReplyDeleteMY RECENT POST...काव्यान्जलि ...:गजल...
jankari achchi mili.....prerna leni chahiye sarkar ko.
ReplyDeleteअच्छा विषय लिया साधना जी. इस पर विचार होना ही चाहिये.
ReplyDeletebharat ke log puri duniya mein base aur jaha tak vote ki bat hain hamare yaha ke neta kabhi unahe ye taakt nahi denge ke vo log vote kar sake yaha ke chunavo mein varna ..netao ko videsh jana padega unahe manane aur kuch railiya vaha karni padegi
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