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Saturday, August 11, 2012

बस.... यूँ ही


यूँ तो
उदासी की
कोई खास वजह नहीं
लेकिन आज ना जाने क्यों
बस मुस्कुराने को ही
जी नहीं चाहता ! 

यूँ तो
पलकों की हदें तोड़ कर
आँसू बह नहीं रहे
लेकिन इनकी नमी ने
मेरे अंतर्मन की दरो दीवार की
सारी खुशनुमाँ परतों को
पल भर में ही खुरच कर
उतार दिया है ! 

यूँ तो
आँखों के सामने आज भी
हर रोज़ की तरह
कई सारे
खूबसूरत मंज़र बिखरे पड़े हैं
लेकिन आज
ना जाने क्यों आँखें
इनकी किसी भी दिलकशी से
ज़रा भी मुतासिर
नहीं लगतीं ,
वो तो बस गहन उदासी से
सुदूर शून्य में ना जाने
  कहाँ अटकी हुई हैं ! 

यूँ तो
लबों को सी लेने की
मैंने जानबूझ कर
कोई पुरज़ोर
कोशिश नहीं की
बस आज सारे गीत,
सारे किस्से ,
सारे कहकहे
ना जाने कहाँ
खामोश होकर
दफ़न हो गये हैं कि
मैं इनका पता ठिकाना
कहीं ढूँढ ही नहीं
   पा रही हूँ , 
मेरा मन तो इन सभी
   सुखों से बस जैसे एकदम   
    उदासीन सा हो गया है !
  
यूँ ही....
बस.... यूँ ही !



साधना वैद

18 comments :

  1. कभी कभी आंसुओं को उनकी मर्जी की कर लेने देना चाहिए !
    सुंदर भावपूर्ण !

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  2. कभी कभी होता है बहुत कुछ बस यूँ ही

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  3. कभी कभी ऐसा भी होता है..सुन्दर भाव.

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  4. कोशिशें तो ताउम्र रहीं
    पर आज फिर मेरा जी चाहता है रोने को
    ........

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  5. मेरे हालात के लिए सही शब्द दिखे शुक्रिया
    .......................

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  6. मेरा मन तो इन सभी
    सुखों से बस जैसे एकदम
    उदासीन सा हो गया है !

    कभी कभी ऐसा ही होता है, ऊपर की पंक्तियाँ तब बिल्कुल सार्थक लगती हें.

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  7. वाह ... बेहतरीन.सुन्दर भाव. बधाई

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  8. यूँ तो
    उदासी की
    कोई खास वजह नहीं
    लेकिन आज ना जाने क्यों
    बस मुस्कुराने को ही
    जी नहीं चाहता !
    बहुत सुंदर भाव लिए अंतर्मन को छूती बहुत शानदार रचना /बहुत बधाई आपको /


    मेरे ब्लॉग में आपका स्वागत है /चार महीने बाद फिर में आप सबके साथ हूँ /जरुर पधारिये /

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  9. यूँ तो
    उदासी की
    कोई खास वजह नहीं
    ....................
    बस मुस्कुराने को ही
    जी नहीं चाहता !

    वाह...
    कभी कभी यही वजह बन जाती है न मुस्कुराने की..
    साभार...!

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  10. आज फिर मेरा -------"सुन्दर पंक्ति
    बहुत अच्छी लगी |
    आशा

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  11. bas yun hi.... udash ho jaate hai.... bhaut hi behtreen rachna....

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  12. कभी कभी यूं ही घेर लेती है उदासी ,खूबसूरत लम्हे भी नहीं लुभा पाते मन को ....
    ऐसी दशा को बहुत खूबसूरती से उकेरा है ...

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  13. सुन्दर भाव..........कभी कभी होता है बहुत कुछ बस यूँ ही............

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  14. HOTA HAI KABHI KABHI AISA JAB MAN RISTA HAI AUR BAS RISTA HI RAHTA HAI...USE IS HAAL ME DEKHNA BHI KABHI KAHIN MAN K HI KISI KONE KO SHANT KAR RAHA HOTA HAI.

    MARMIK RACHNA.

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  15. saral bhawon se bhari....dil ko chooti hui....

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  16. आज 21/08/2012 को आपकी यह पोस्ट (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!

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  17. बोझिल मन
    छुप छुप के रोए...
    मनाए कौन...?
    रीती अंखिया
    सपनों की कलियाँ...
    करतीं बैन...:(


    भावपूर्ण रचना !
    ~सादर !!!

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  18. सच कभी - कभी अकारण ही मन ऐसा चाहने लगता है ......

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