Sudhinama
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Tuesday, October 15, 2013
उच्छवास
सघन वन
छिपा जीवन धन
व्याकुल मन !
शिथिल तन
उजड़ा मधुबन
हारा जीवन !
दिवस रैन
अब झरते नैन
आये न चैन !
अँखियाँ रोईं
पल भर न सोईं
तुम न आये !
किस्मत रूठी
साँसों की डोर टूटी
सूखे सागर !
साधना वैद
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