एक चित्र-गीत
चाँद
और तारों भरी सुहानी रात है,
स्निग्ध
शीतल चाँदनी की
अमृत
भरी बरसात है,
वादी
के ज़र्रे-ज़र्रे में उतरे
इस
आसमानी नूर में
कुछ
तो अनोखी बात है,
कारवाँ
बनाने को खुद अपनी ही
परछाइयों
का सुकून भरा साथ है,
तुम्हारे
हाथ में मेरा हाथ है,
एक
दूजे को देने के लिये
प्रेम
और समर्पण की सौगात है,
जब
इतना सब कुछ हो पास तो
और
क्या चाहिये !
साधना
वैद
आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज बुधवार 28 अक्टूबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
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