सरला की काम वाली
बाई आज अनमनी सी दिख रही थी ! रोज़ की तरह उसने आज सरला से राम-राम भी नहीं की !
सरला ने उसे अपने पास बुलाया और प्यार से पूछा, “क्या बात है रानी आज तुम कुछ
परेशान लग रही हो ! घर में सब ठीक तो है ना” ?
सरला की सहानुभूति
रानी की आँखों में आँसू ले आई !
“क्या बताऊँ बहू जी
! बड़ी लड़की सीमा, चार महीने पहले जिसका ब्याह किया था, ससुराल में सबसे लड़ झगड़ कर
वापिस घर आ गयी है ! मैंने और उसके बापू ने उसे बहुत समझाया लेकिन वापिस जाने को
तैयार ही नहीं है ! और पेट से है सो अलग ! ”
“अरे ! तो उसे कोई परेशानी होगी ! ससुराल वाले तंग
करते होंगे तभी तो वापिस आई होगी ना ! क्या बताया उसने ? मारते पीटते थे ? ऐसे
लोगों से दूर रहे तभी ठीक है ! हमारी बेटी वैशाली भी तो आ गयी है ना अपनी ससुराल
से वापिस ! जैसे हमने उसे सम्हाला है तू भी आसरा दे अपनी बेटी को ! ससुराल वालों
का अत्याचार सहना गलत बात है !” अपनी बेटी वैशाली का दृष्टांत देकर सरला ने उसका
मनोबल बढ़ाने की कोशिश की !
“आप लोगन की बात और
है बहू जी ! आपके साहब खूब कमात हैं ! वैशाली दीदी भी खूब पढ़ी लिखी हैं ! वो भी
अच्छी नौकरी करत हैं ! आपके दोनों बेटवा सरकारी अफसर हैं ! हम क्या करें ? हमारा
मरद दिहाड़ी पर काम करता है ! रोज़ तो काम मिलता नहीं है ! जिस दिन काम नहीं करता
सारा दिन दारू पीकर घर में किचकिच करता है ! सीमा के बियाह में जो करजा लिया था वो
ही नहीं निबटा है कि यह घर वापस आ गयी ! घर में सीमा से छोटे तीन बच्चा और हैं !
उनको भर पेट रोटी नहीं मिलती सीमा को कहाँ से खबाऊँ ! बहू जी बुरा मत मानना ! आप
बड़े लोगन की देखा देखी हम गरीबन की लड़कियों ने भी घर तोड़ना और लड़ झगड़ कर पीहर आके
बैठ जाना तो खूब सीख लिया है लेकिन ना तो वो आप लोगन की तरह पढ़ी लिखी और कमाऊ हैं
ना हमारी औकात इतनी है कि गिनी चुनी रोटियों में और हिस्सेदार बढ़ा लें !”
रानी आँखों से आँचल
लगाए रोये जा रही थी और सरला बिलकुल निरुत्तर हो चुप हो गयी थी ! उसके पास रानी की
समस्या का कोई निदान नहीं था !
साधना वैद
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