बीते लम्हों को जी लेना मुश्किल है
पलकों से आँसू पी लेना मुश्किल है !
मीलों लंबे रेत के जलते सहरा में
नंगे पैरों चलते रहना मुश्किल है !
तुम होते तो कुछ दोनों कहते सुनते
खुद ही खुद से दिल की कहना मुश्किल है !
दूर तलक पसरी सूनी इन राहों में
हमकदमों के साये मिलना मुश्किल है !
पैने नश्तर के गहरे इन ज़ख्मों को
जादू सा वो मरहम मिलना मुश्किल है !
दिल के दामन के उधड़े पैबंदों को
अश्कों के धागों से सिलना मुश्किल है !
अनजान अपरिचित लोगों की इस दुनिया में
एक किसी हमदर्द का मिलना मुश्किल है !
चीख भरी इन आवाजों के दंगल में
इसकी उसकी सबकी सुनना मुश्किल है !
सदियों का था साथ निभाने का वादा
चार कदम भी संग में चलना मुश्किल है !
एक बार तो उस जैसा बन कर देखो
दोधारी तलवार पे चलना मुश्किल है !
माफ कर दिये जिसने अनगिन पाप तेरे
उसके जैसा रहबर मिलना मुश्किल है !
साधना वैद
No comments :
Post a Comment