हर जीत तुम्हारी हो ज़रूरी तो नहीं ,
हर हार हमारी हो ज़रूरी तो नहीं !
सच है तुम्हें सब मानते हैं रौनके महफ़िल ,
हर बात तुम्हारी हो ज़रूरी तो नहीं !
जो रात की तारीकियाँ लिख दीं हमारे नाम ,
हर सुबह पे भारी हों ज़रूरी तो नहीं !
बाँधो न कायदों की बंदिशों में तुम हमें ,
हर साँस तुम्हारी हो ज़रूरी तो नहीं !
तुम ख़्वाब में यूँ तो बसे ही रहते हो ,
नींदें भी तुम्हारी हों ज़रूरी तो नहीं !
जज़्बात ओ खयालात पर तो हावी हो ,
गज़लें भी तुम्हारी हों ज़रूरी तो नहीं !
दिल की ज़मीं पे गूँजते अल्फाजों की ,
तहरीर तुम्हारी हों ज़रूरी तो नहीं !
माना की हर एक खेल में माहिर बहुत हो तुम ,
हर मात हमारी हो ज़रूरी तो नहीं !
चित्र - गूगल से साभार
साधना वैद
जी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल गुरुवार (२६-११-२०२०) को 'देवोत्थान प्रबोधिनी एकादशी'(चर्चा अंक- ३८९७) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
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अनीता सैनी
आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार अनीता जी ! सप्रेम वन्दे !
Deleteबाँधो न कायदों की बंदिशों में तुम हमें ,
ReplyDeleteहर साँस तुम्हारी हो ज़रूरी तो नहीं !
... बहुत ही उम्दा रचना। एक-एक गजल बेहतरीन है। स्वतंत्र होना और स्वतंत्रता की अनुभूति होना दोनो ही आवश्यक है। जरूरी नहीं कि आप सोने के पिंजरे में कैद एक पंछी की तरह संतुष्टि का झूठा एहसास लेकर जिएं।
हार्दिक शुभकामनाएं व साधुवाद आदरणीया साधना जी।
हार्दिक धन्यवाद पुरुषोत्तम जी ! बहुत बहुत आभार आपका ! रचना आपको अच्छी लगी ! मेरा लिखना सफल हुआ !
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज गुरुवार 26 नवंबर 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद दिव्या जी ! बहुत बहुत आभार आपका ! सप्रेम वन्दे !
Deleteसुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद गगन जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteबढ़िया ग़ज़ल।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद शास्त्री जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteजो रात की तारीकियाँ लिख दीं हमारे नाम ,
ReplyDeleteहर सुबह पे भारी हों ज़रूरी तो नहीं !
बाँधो न कायदों की बंदिशों में तुम हमें ,
हर साँस तुम्हारी हो ज़रूरी तो नहीं !...।बहुत कुछ कह गयीं आपकी शानदार पंक्तियाँ..। मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है....।सादर नमन...।
असाधारण सृजन - - नमन सह।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद शांतनु जी ! स्वागत है आपका इस ब्लॉग पर ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteशानदार सृजन |
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