तुम्हारा आना
नयनों का लजाना
बातों का बिसराना
याद आ गयीं
वो बिसरी सी बातें
मीठी सी मुलाकातें
पुराने दिन
कॉलेज का ज़माना
तेरा खिलखिलाना
कैसे भूलेंगे
वो खिलन्दड़ापन
वो चुहलबाजियाँ
आओ फिर से
महफ़िल सजाएं
हँस लें मुस्कुराएँ
न जाने फिर
ऐसे सुन्दर दिन
कभी आयें न आयें
आ जाओ साथी
खुशियाँ फिर जी लें
सुख मदिरा पी लें
चूक न जाएँ
दो दिन का जीवन
हँस हँस के जी लें !
साधना वैद
सोदोका विधा में एक रचना
सादर नमस्कार ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (18-1-22) को "दीप तुम कब तक जलोगे ?" (चर्चा अंक 4313)पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है..आप की उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी .
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कामिनी सिन्हा
हार्दिक धन्यवाद कामिनी जी ! आपका बहुत बहुत आभार ! सप्रेम वन्दे !
Deleteतुम्हारा आना बढ़िया रचना |भावपूर्ण अभिव्यक्ति |
ReplyDeleteसोदोका विधा के बारे में बताएं कृपया.
ReplyDeleteअपने हिस्से की ख़ुशी
वक़्त रहते समेट लें.
सुंदर प्रफुल्ल भाव.
हार्दिक धन्यवाद नूपुरम जी ! बहुत बहुत आभार !
Deleteबहुत ही सुंदर भाव!
ReplyDeleteआपकी रचना पढ़ कर मुझे कुछ पंक्तियाँ सूझी 👇
तुम्हारा आना,बसंत के आने जैसा है!
उफ्फ वो नयनों का लजाना,
बिना कहे बहुत कुछ कह जाना!
जो शब्दों में न बयां हो सकें वो एहसास दे जाना!
बहुत सुन्दर पंक्तियों का सृजन किया आपने ! बहुत बहुत धन्यवाद मनीषा जी ! हृदय से आभार आपका !
Deleteसुंदर रचना।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद तिवारी जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteआदरणीया दीदी आपकी रचना मन को भा गई। बहुत ही सुन्दर सार्थक सृजन। हृदय स्पर्शी
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद अभिलाषा जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteयादों की मृदुल छांव में बैठे अनुरागरत हृदय की बहुत ही प्यारी मनुहार 👌👌 बहुत मोहक और भावपूर्ण प्रस्तुति 👌👌
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद रेणु जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
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