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Tuesday, February 15, 2022

प्यारी गुड़िया




 

कितनी मोहक

कितनी आकर्षक है

तुम्हारे अधरों पर

ठिठकी यह मुस्कान !

कितना लुभा रहे हैं  

तुम्हारे खुले बिखरे ये बाल !

लगता है दो तीन दिन से

कंघी ने स्पर्श नहीं किया है इन्हें,

लेकिन फिर भी कितना

खिल रहा है तुम्हारा चेहरा

इस बिखरी केशराशि से घिरा !

आँखों में कितना निश्छल सा आग्रह है

कितना निष्पाप सा आमंत्रण है

अपना अधखाया हुआ

जूठा सैंडविच साझा करने का !

कैसे न बलिहारी जाऊँ

तुम्हारी मासूमियत पर

मेरी प्यारी सी गुड़िया रानी !

माँ हूँ न तुम्हारी !

सौ सौ जान कुर्बान जाती हूँ 

तुम्हारी इस दरियादिली पर

तुम्हारी लाड़ भरी मनुहार पर !

किसीकी नज़र ना लगे

मेरी राजकुमारी को

बस यही दुआ है

नसीबों वाली इस माँ की !

 

साधना वैद

7 comments :

  1. आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 17.02.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4344 में दिया जाएगा| ब्लॉग पर आपकी आमद का इंतजार रहेगा|
    धन्यवाद
    दिलबाग

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    Replies
    1. आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार दिलबाग जी ! सादर वन्दे !

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  2. सुप्रभात
    मन मोहक रूप रंग वाली गुड़िया का शब्द चित्र बहुत सुन्दर बना है |

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  3. वाह ! अनुपम चित्रण

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    Replies
    1. हृदय से धन्यवाद आपका अनीता जी ! बहुत बहुत आभार !

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  4. बहुत ही खूबसूरत सृजन!
    शब्दों के माध्यम से आपने नन्ही परी का बहुत ही खूबसूरती से वर्णन किया है!

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    Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद मनीषा जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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