कितनी मोहक
कितनी आकर्षक है
तुम्हारे अधरों पर
ठिठकी यह मुस्कान !
कितना लुभा रहे हैं
तुम्हारे खुले बिखरे ये बाल !
लगता है दो तीन दिन से
कंघी ने स्पर्श नहीं किया है इन्हें,
लेकिन फिर भी कितना
खिल रहा है तुम्हारा चेहरा
इस बिखरी केशराशि से घिरा !
आँखों में कितना निश्छल सा आग्रह है
कितना निष्पाप सा आमंत्रण है
अपना अधखाया हुआ
जूठा सैंडविच साझा करने का !
कैसे न बलिहारी जाऊँ
तुम्हारी मासूमियत पर
मेरी प्यारी सी गुड़िया रानी !
माँ हूँ न तुम्हारी !
सौ सौ जान कुर्बान जाती हूँ
तुम्हारी इस दरियादिली पर
तुम्हारी लाड़ भरी मनुहार पर !
किसीकी नज़र ना लगे
मेरी राजकुमारी को
बस यही दुआ है
नसीबों वाली इस माँ की !
साधना वैद
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 17.02.22 को चर्चा मंच पर चर्चा - 4344 में दिया जाएगा| ब्लॉग पर आपकी आमद का इंतजार रहेगा|
ReplyDeleteधन्यवाद
दिलबाग
आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार दिलबाग जी ! सादर वन्दे !
Deleteसुप्रभात
ReplyDeleteमन मोहक रूप रंग वाली गुड़िया का शब्द चित्र बहुत सुन्दर बना है |
वाह ! अनुपम चित्रण
ReplyDeleteहृदय से धन्यवाद आपका अनीता जी ! बहुत बहुत आभार !
Deleteबहुत ही खूबसूरत सृजन!
ReplyDeleteशब्दों के माध्यम से आपने नन्ही परी का बहुत ही खूबसूरती से वर्णन किया है!
हार्दिक धन्यवाद मनीषा जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
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