Followers

Monday, April 24, 2023

किताबी घर

 


पुस्तक दिवस पर विशेष 


निकली ईंट
हिलेगी बुनियाद
किताबी घर

छोड़ेंगे नहीं
खिड़की कपाट भी
पुस्तक चोर

शेष रहेगी
भग्न सी इमारत
कुछ घंटों में

शोभित होंगे
निजी पुस्तकालय
धुर चोरों के

अलंकरण
कीमती किताबों के
उठ जायेंगे

ठगे जाएंगे
सच्चे पुस्तक प्रेमी
इस लीला में

बेचैन रूह
महान लेखकों की
घबरायेगी

खंडहर में
कहाँ ढूँढ़ेगी नाम
अपना काम

किताब घर
रह जाये न बन
मलबा घर

सहेजें इन्हें
सुदृढ भवन में
पूरी निष्ठा से

अनमोल हैं
ज्ञान का भंडार हैं
संरक्षक हैं

सींच रही हैं
संस्कृति औ' संस्कार
युगों युगों से

धरोहर हैं
मानव सभ्यता की
सहेजें इन्हें

ये किताबे हैं
मित्र, गुरू, पोषक
ममतामयी

ये मशाल हैं
पथ प्रदर्शक हैं
ज्ञान की ज्योति

इनके बिना
सद्गति जीवन की
कभी न होती


साधना वैद

10 comments :

  1. हार्दिक धन्यवाद शास्त्री जी ! बहुत बहुत आभार आपका ! सादर वन्दे !

    ReplyDelete
  2. अच्छी प्रस्तुति

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद ओंकार जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

      Delete
    2. ठगे जाएंगे
      सच्चे पुस्तक प्रेमी
      इस लीला में

      बेचैन रूह
      महान लेखकों की
      घबरायेगी
      बहुत सुन्दर सृजन ।

      Delete
    3. हार्दिक धन्यवाद सुधा जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

      Delete
  3. बहुत सुन्दर रचना !!

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद रूपा जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

      Delete
  4. बेहतरीन प्रस्तुत

    ReplyDelete
    Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद मनीषा जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

      Delete
  5. आभार पूर्ण रचना आप आगे बढ़ते रहे
    धन्यवाद

    ReplyDelete