11 मई, बाय बाय चेरापूँजी
चेरापूँजी से विदा लेने का दिन आ गया था ! 11 मई की सुबह जल्दी उठ कर हमें शिलौंग
के लिए निकलना था और रास्ते में कुछ दर्शनीय स्थलों को देखते हुए जाना था ! स्मोकी
फॉल्स रिज़ोर्ट की खूबसूरत वादियों, पहाड़ियों से जैसे
बड़ी दोस्ती सी हो गयी थी इन दो ही दिनों में ! सुबह सुबह नर्म धूप की सुनहरी चुनरी
ओढ़े हुए उन पहाड़ियों को जी भर कर आख़िरी बार देख लिया और ढेर सारी बातें भी कर लीं
मन ही मन ! दोबारा जल्दी आने का प्रॉमिस भी कर दिया ! पूरा होगा या नहीं कभी कौन जाने
लेकिन अपनी सखियों के आमंत्रण को ठुकराना पसंद नहीं था मुझे ! रिज़ोर्ट का डाइनिंग
हॉल अमूमन देर से खुलता है ! लेकिन उस दिन हमारा बटर ब्रेड का ब्रेकफास्ट पैक करके
देने के लिए कुछ जल्दी खुल गया था ! चाय पीकर अपना सारा सामान समेट कर हम लोगों ने
अपनी बस की ओर प्रस्थान किया और गायत्री मन्त्र, और गणपति स्तुति के समवेत उद्घोष के साथ शिलौंग की राह पर हमारा काफिला आगे
चल पड़ा ! रास्ते में हमारे अनुरोध पर दुद्दू दिन्तू ने हम सभी उम्र दराज़ महिलाओं
के लिए मोटे मजबूत बाँस की चार लाठियाँ बना कर ला दीं जिनकी सहायता से हमारा कई
स्थानों का घूमना संभव हो पाया ! इस बार हमारा रास्ता मेघालय प्रदेश के आतंरिक
भागों से होकर गुज़र रहा था और बाँस के घने जंगल हमारा मन मोह रहे थे ! सारे रास्ते
लीची, केले, आम, सुपारी, नारियल, कटहल के फलों से लदे पेड़ों को देख कर हम हैरान थे कि इन
निर्जन स्थानों पर कुदरत के इन अनमोल तोहफों का सदुपयोग कौन करता होगा ! रास्ते
में जगह जगह छोटे बड़े अनाम झरने भी खूब देखने को मिले ! चेरापूँजी वर्षा बहुल
क्षेत्र है और यहाँ गहरी गहरी घाटियाँ भी हैं तो जहाँ भी पानी अधिक जमा हो जाता है
झरने का रूप धारण कर बह निकलता है और सैलानियों को मंत्रमुग्ध कर देता है !
सुबह स्मोकी फॉल्स रिज़ोर्ट
से जल्दी निकले थे तो किसीसे भी कुछ ठीक से खाया नहीं गया था ! हमने बटर ब्रेड के
कुछ पीसेज पैक भी करवा लिए थे लेकिन चलती बस में पानी के साथ उन्हें कौन खाता ! तलब
तो गरम चाय की लगी थी ! दुद्दू दिन्तू के पास हमारी हर समस्या का समाधान होता था !
जैसे ही उन्हें बताया कि गरमागरम चाय पीने का मन हो रहा है उन्होंने रास्ते में एक
बड़े ही सुन्दर से के. बी. आर. नाम के रेस्टोरेंट पर गाड़ी रोक दी ! यहाँ और भी बहुत
लोग थे ! हम सबने जी भर के इडली साम्भर और साम्भर वड़े का स्वादिष्ट नाश्ता किया ! एक
बात सभी ने नोटिस की कि मेघालय में हर छोटी बड़ी जगह पर चाय बहुत ही स्वादिष्ट
मिलती थी ! बेमिसाल रंग और खुशबू और लाजवाब स्वाद ! अक्सर मुझे बाहर की चाय कम
पसंद आती है तो मैं कॉफ़ी लेना ही प्रिफर करती हूँ लेकिन मेघालय त्रिपुरा के इस
ट्रिप में एयरपोर्ट को छोड़ कर मैंने कहीं भी कॉफ़ी नहीं पी ! इस रेस्टोरेंट के
दरवाज़ों के हैंडिल्स बड़े कलात्मक थे और दरवाज़े पर यहाँ की टिपीकल खासी ड्रेस में सुसज्जित
स्वागत में खड़ी युवती की आदमकद प्रतिमा सबको आकर्षित कर रही थी ! यात्रा के बीच
में कुछ ब्रेक मिल गया तो सब फ्रेश हो गए ! यहाँ भी खूब फोटोग्राफी हुई ! और फिर
चल पड़ा हमारा काफिला शिलौंग की दिशा में !
रास्ते में हमारे साथ-साथ पन्ने
से हरे रंग की पानी वाली एक बड़ी ही खूबसूरत नदी भी बल खाती इठलाती बह रही थी !
पूछने पर पता चला यह डौकी नदी है जो भारत और बांग्लादेश दोनों में बहती है ! अचानक
से ग्रुप में उत्साह का संचार हो गया ! तो क्या हम बांग्लादेश की सीमा पर हैं ?
यहाँ से कुछ ही दूरी पर बांग्ला देश के खेत, मैदान और कुछ
कच्चे घर दिखाई दे रहे थे ! और यह तो वही नदी है जिसका नाम विश्व की चंद बेहद साफ़
नदियों में शुमार है ! सड़क काफी ऊँचाई पर थी नदी गहरी घाटी में ! अचानक से सड़क के एक
सकरे से स्थान पर हमारी बस रुक गयी ! यहाँ
कोई पार्किंग नहीं थी ! कई कारें, बसें सब सड़क के किनारे खड़ी हुई थीं ! नीचे से
कुछ नाव वाले भी ऊपर आ गए ! बहुत सारी ऊबड़ खाबड़ सी सीढ़ियों पर कुछ दुद्दू दिन्तू
की सहायता से और कुछ नाव वालों की सहायता से ट्रेकिंग करते हुए हम नीचे पहुँच गए
और फिर शुरू हुआ भारत की सबसे साफ़ सबसे प्यारी नदी डौकी में नौकायन का शानदार
अनुभव !
नदी का पानी सच में इतना
साफ़ था कि नीचे के पत्थर, मछलियाँ सब साफ़ दिखाई दे रहे थे ! कुछ दूर पर एक टापू सा
दिखाई दे रहा था ! नाव वाले ने बताया वह बांग्ला देश की सीमा में है ! हम लोग उसके
पास तक गए लेकिन वहाँ उतर नहीं सके ! उस टापू पर भी काफी भीड़ थी और दुकानों पर
सामान बिक रहा था ! वो शायद बांगलादेश के सैलानी होंगे !
प्रमिला वर्मा जी की तबीयत
कुछ नासाज़ थी वे नीचे नहीं आई थीं ! एक नाव में तीन से अधिक लोगों को नहीं बैठाया
जा सकता था ! हम लोगों ने तीन नावें की ! एक में मैं और राजन थे, दूसरी में संतोष जी, विद्या जी और
यामिनी जी ! तीसरी नाव में अंजना जी और रचना पाण्डेय जी ! पहाड़ी से उतरते वेगवान
झरने से, जहाँ डौकी नदी का उदगम था, बांग्ला देश
के टापू तक और नदी के इस किनारे से लेकर दूसरे किनारे तक हम सबने खूब जम कर बोटिंग
की ! सच बहुत आनंद आया ! नदी के ऊपर एक पुल भी दिखाई दे रहा था ! बोटिंग के बाद
नाव वालों की ही सहायता से हम लोग ऊपर अपनी बस तक पहुँचे ! नाव वाले बच्चे इतने
अच्छे और भोले भाले थे कि उन पर मुझे बड़ा स्नेह उमड़ रहा था ! स्मोकी रिजोर्ट से
मक्खन ब्रेड का और रात के पुलाव का जो नाश्ता हम लोगों के साथ रख दिया गया था वह
सब मैंने उन बच्चों को दे दिया ! दोनों बहुत खुश हो गए !
नदी से जो पुल दिखाई दे रहा
था उसी पुल से होकर हम बांग्लादेश के सीमावर्ती गाँव तामाबिल पहुँचे ! यहाँ पर
भारत की सीमा समाप्त होती है और बांग्लादेश की सीमा आरम्भ हो जाती है ! उधर से कुछ
बांग्ला देशी नागरिक भी इस स्थान पर आये हुए थे ! हम लोगों के साथ बहुत प्यार से
मिले ! फोटो भी खिंचवाई साथ में ! उन लोगों में शायद एक नव विवाहित जोड़ा भी था !
महिला बुर्के में थी ! उसने अपने मेंहदी रचे हाथ दिखाए ! बोले, “हम भी वही सब करते
हैं जैसा आपके यहाँ होता है ! बँटवारा करवा के अँगरेज़ बहुत बुरा कर गए हम लोगों के
साथ !” नेता और कुछ सिरफिरे लोग कितने ही ‘दुश्मन-दुश्मन’ के नारे लगाते रहें आम
लोगों के दिलों में एक दूसरे के लिए प्यार भी है और सम्मान भी है ! साथ ही कहीं यह
मलाल भी है कि अगर बँटवारा न हुआ होता, भारत एक समग्र विशाल देश होता तो विश्व में
कितनी बड़ी ताकत के रूप में उभरता !
यहाँ भी सबने खूब तस्वीरें
लीं ! कुछ बांग्लादेश के अधिकारी गण भी थे जो हमारे साथ फोटो खिंचवाने आ गए थे !
यहाँ आकर सबसे मिल कर आत्मिक प्रसन्नता का अनुभव हुआ !
डौकी नदी चेरापूँजी और
शिलौंग के मध्य में बहती है ! डौकी नदी का एक नाम उम्नगोट नदी भी है और अंग्रेज़ी
में ‘Dawki’ स्पेलिंग होने की वजह से
इसे ‘दावकी’ के नाम से भी पुकारा जाता है ! यहाँ से हमें शिलौंग के लिए आगे बढ़ना
था ! रास्ते में हम बांगलादेश की सीमा के साथ साथ चल रहे थे क्योंकि मेघालय
बांग्ला देश से बिलकुल लगा हुआ है ! यहाँ पर हमने बी. एस. एफ़. ( बोर्डर सीक्योरिटी
फ़ोर्स ) द्वारा लगाई जा रही स्मार्ट फेंसिंग के कुछ हिस्से भी देखे ! यह स्मार्ट
फेंसिंग सीमा पर अवैध सामान एवं मानव तस्करी पर रोक थाम व अवांछनीय घुस पैठ पर नियन्त्रण
रखने के लिए लगाई गयी है ! कुछ वर्ष पहले यहाँ पर बी. जी. बी. ( बॉर्डर गार्ड
बांग्ला देश ) द्वारा एक नि:शस्त्र भारतीय इन्स्पेक्टर की ह्त्या कर दी गयी थी जो
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार उन भारतीय मछुआरों को वापिस लौटा कर लाने के
लिए सीमा पार गया था जो भटक कर बांगला देश की सीमा में चले गए थे ! इस घटना को
लेकर बी. एस. एफ़. और बी. जी. बी. के बीच काफी तनाव हो गया ! दोनों तरफ से गोली
बारी हुई और काफी जन धन की हानि हुई ! उस घटना के बाद इस फेंसिंग को लगाने का
निर्णय लिया गया ! बांग्लादेश की ओर जाने वाले रास्तों को कटीले तारों से अवरुद्ध
कर स्थाई रूप से बंद कर दिया गया और पहरा सख्त कर दिया गया ! लेकिन अब ऐसा कोई तनाव नहीं है और दोनों देशों
के बीच बहुत ही मधुर और मैत्रीपूर्ण सम्बन्ध दोबारा से स्थापित हो चुके हैं !
अभी आपको एक और बहुत ही
अद्भुत स्थान की सैर करवानी है लेकिन पोस्ट भी लम्बी हो गयी है और रात भी बहुत हो
चुकी है ! तो बस थोड़ी सी प्रतीक्षा और करिए ! मैं जल्दी ही आती हूँ एक और नए स्थान
की रोचक जानकारी के साथ ! तब तक के लिए मुझे इजाज़त दीजिये और आप भी इन खूबसूरत तस्वीरों
का मज़ा लीजिये ! मिलती हूँ जल्दी ही ! शुभरात्रि
!
साधना वैद
बहुत सुंदर
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद ओंकार जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
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