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Friday, February 9, 2024

मैं उजाले बेचती हूँ ।

 



ले लो ले लो
मैं उजाले बेचती हूँ
तुम अंधेरे मिटा लो ।
पूरा सूरज ले आई हूँ
कोई कमी नहीं है ।
जिसको जितना चाहिए ले लो ।
भर लो उजाला अपने घर में
मिटा दो अंधेरा जड़ से ।
आज मिल रहा है सस्ते में
कौन जाने कल मिले न मिले
आज कोई कमी नहीं है ।
अपना घर भी भर लो
उजालों से और अपने
पड़ोसियों का भी ।
कहीं ये मौका
निकल न जाये हाथ से
फिर पछताओगे बाद में ।
ले लो ले लो
मैं उजाले बेचती हूँ ।
तुम अंधेरे मिटा लो ।


चित्र - गूगल से साभार


साधना वैद

2 comments :

  1. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद हरीश जी ! आभार आपका !

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