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Tuesday, April 1, 2014

कैसे चुनें एक योग्य प्रत्याशी .......





देश में लोक सभा के चुनाव होने जा रहे हैं ! कुछ माह पहले देश के पाँच प्रदेशों में विधान सभा के चुनाव हुए थे ! अलग-अलग समय पर नगर निगम व स्थानीय निकायों के चुनाव भी होते रहते हैं ! हम सबको यह समझना चाहिये कि तीनों तरह के चुनावों में विजयी तो सबसे लोकप्रिय प्रत्याशी ही होता है लेकिन हर चुनाव के विजेता की जिम्मेदारियाँ भिन्न प्रकार की होती हैं ! जहाँ लोकसभा के लिये चुना हुआ एम पी केन्द्र में सरकार बनाने का माध्यम बनता है और देश की आर्थिक नीति, रक्षा नीति, आतंरिक सुरक्षा, विदेश नीति, प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग, पर्यावरण आदि महत्वपूर्ण मंत्रालयों का संचालन करता है व पूरे देश के विशाल बजट का निर्धारण करता है वहीं विधान सभा का विधायक चुने जाने के बाद अपने प्रदेश की समस्याओं, प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग व अपने प्रदेश की आमदनी व केन्द्र से मिलने वाले अपने हिस्से की धन राशि को जनहित में समुचित रूप से खर्च करने का माध्यम बनता है ! इसका दायित्व अपने प्रांत की पुलिस, प्रशासन, शिक्षा, स्वास्थ्य, फसल, आदि के समुचित प्रबंधन को देखना होता है ! इसी तरह स्थानीय समस्याओं के निदान के लिये ज़िम्मेदार हमारे शहर के नगरनिगम का पार्षद होता है जो कि हमारे मोहल्ले की सड़क, पानी, बिजली, सफाई आदि की समस्याओं के समाधान के लिये जवाबदेह होता है ! कहने का तात्पर्य यह है कि तीनों चुनावों के लिये अलग-अलग योग्यताओं वाले प्रत्याशियों की आवश्यकता होती है और चुनाव के वक्त प्रत्याशियों को हमें इन कसौटी पर कस कर ज़रूर परख लेना चाहिये ! कार्यचक्र कुछ इस प्रकार चलता है कि पार्षद अपने मोहल्ले की समस्याओं के हल के लिये अपने क्षेत्र के विधायक से मिलेगा और राज्य सरकार से उस समस्या का समाधान करायेगा ! जो समस्याएं राज्य स्तर पर हल नहीं हो सकती हैं उनके लिये केन्द्रीय सहायता के वास्ते एम एल ए अपने शहर के एम पी से मिलेगा ! वह एम पी या तो स्वयं सत्ता में होगा या विपक्षी नेता के रूप में सरकार पर दबाव डालने के लिये सक्षम होगा ! अर्थात इस लोक सभा में हम जिस सांसद को चुनने जा रहे हैं वह प्रधान मंत्री, केन्द्र सरकार का मंत्री अथवा विपक्ष का कोई मजबूत नेता बनने जा रहा है ! वह इस महत्वपूर्ण दायित्व को उठाने के लिये पर्याप्त रूप से सुयोग्य अथवा सक्षम है या नहीं यह सुनिश्चित कर लेना भी अति आवश्यक है !
अब इस विषय पर भी ध्यान देने की ज़रूरत है कि प्रत्याशी की छवि साफ़ सुथरी हो और उसका कोई आपराधिक इतिहास ना हो ! यही सबसे टेढी खीर है ! चुनाव में भाग लेने वाली पार्टियों तथा चंद प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा आम जनता का बहुत बड़ा प्रतिशत तो अपने क्षेत्र से खड़े होने वाले सारे प्रत्याशियों के नाम तक नहीं जानता उनके अच्छे बुरे क्रियाकलापों के बायोडाटा की जानकारी उन्हें होगी यह तो नितांत असंभव है ! यह विडम्बना ही है कि विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र वाले हमारे देश में चुनाव प्रक्रिया केवल दाँव पेंच और षड्यंत्र वाली चौसर की बाज़ी बन कर रह गयी है ! यहाँ राजनैतिक पार्टियाँ प्रत्याशियों को टिकिट क्षेत्र विशेष की ज़मीनी समस्याओं के बारे में उनकी जानकारी और कटिबद्धता या वहाँ की आम जनता के साथ उनके जुड़ाव या आत्मीय संबंधों को ध्यान में रखते हुए नहीं देतीं वरन चुनाव को चटपटा और चटखारेदार बनाने के लिये विरोधी पार्टी के सामने ऐसे प्रत्याशी को खड़ा कर देती हैं जिसे भले ही आम जनता की समस्याओं की जानकारी ना हो किन्तु वह अपनी लोकप्रियता के बल पर दूसरे प्रत्याशी के वोट काटने में सफलता की गारंटी बन सके यह अधिक ज़रूरी है ! इस चुनावी पैंतरेबाज़ी में जनता किस कोने में सिमट कर रह जाती है इस ओर किसीका ध्यान नहीं जाता ! ऐसे में सुदूर प्रदेशों से खींच कर लाये गये अनजान अपरिचित प्रत्याशियों की आपराधिक गतिविधियों की जानकारी स्थानीय जनता को भला कैसे मिल सकती है ! चुनाव की वेब साईट पर सभी प्रत्याशियों के बारे में सारी जानकारी उपलब्ध होती है यह सच है लेकिन ज़रा सोचिये हमारे वोटर्स का कितना बड़ा प्रतिशत इतना शिक्षित है जो इंटरनेट की सुविधा का लाभ उठाना जानता है ! कितने लोगों के पास यह सुविधा उपलब्ध है और कितने लोगों के पास इतना वक्त और फालतू पैसा है कि अपने घर की रोजी रोटी की समस्याओं को दरकिनार कर साइबर कैफे में अपनी जेब से पैसे खर्च कर वे अपने प्रत्याशियों के बारे में जानकारी प्राप्त करने की आवश्यकता को अधिक महत्व दे सकें ! ये बातें सारी कपोल कल्पना से अधिक कुछ नहीं !  यदि इस सन्दर्भ में जनता को जागरूक करना है तो मीडिया को अपनी जिम्मेदारी समझदारी से उठानी पड़ेगी ! एक विशेष समय पर स्थानीय चैनलों पर क्षेत्र विशेष के हर प्रत्याशी की सम्पूर्ण जानकारी दर्शकों व श्रोताओं के लिये उपलब्ध करानी होगी ! जिसे सुन व देख कर वोटर्स अपने क्षेत्र के प्रत्याशी के बारे में सब कुछ जान सकें ! यही जानकारी स्थानीय अखबारों में प्रतिदिन छापी जानी चाहिए ताकि जो लोग टी वी पर समयाभाव के कारण उस विशेष विज्ञप्ति को देखने से वंचित रह गये वे समाचार पत्रों से जानकारी प्राप्त कर सकें !  
दरअसल चुनाव के लिये प्रत्याशियों के चयन की प्रक्रिया ही सर्वथा दोषपूर्ण है ! अभी तक योग्यता और अनुभव को पूरी तरह से दरकिनार कर ऐसे प्रत्याशियों को टिकिट दिया जाता रहा है जो या तो राजनैतिक रूप से सफल बड़े नेताओं के वंशज हैं या फिल्म जगत, टी वी या कला के क्षेत्र की जानी मानी हस्तियाँ हैं ! ये सारे लोग जो हमेशा पाँच सितारा सुख सुविधाओं में रहते आये हैं, जिन्हें हर समय वाई और जेड स्तर की सुरक्षा प्रदान की जाती रही है वे कैसे आम आदमी की ज़रूरतों के बारे में समझेंगे ! जाके पाँव न फटी बिवाई सो क्या जाने पीर पराई ! ऐसे लोग ईमानदार हों भी तो भी जनता के लिये किस काम के हैं ! यह क्षेत्र देश और देशवासियों के प्रति सेवाभाव व समर्पण के लिये है यहाँ कर्मठता, योग्यता व अनुभव की ज़रूरत होती है केवल लोकप्रियता से काम नहीं चल सकता !
मेरे विचार से नेताओं की योग्यता और जनता के प्रति उनके समर्पण के पैमानों में बदलाव की महती आवश्यकता है ! किसी भी पार्टी के प्रत्याशी को चुनाव लड़ने के लिये टिकिट तभी मिलना चाहिये जब उसने आम जनता की समस्याओं के समाधान के लिये अपने क्षेत्र में पाँच साल तक ज़मीनी स्तर पर डट कर काम किया हो और उस क्षेत्र का बच्चा-बच्चा तक उन्हें पहचानता हो ! उसके लिये हमें लोकप्रिय नामों की ज़रूरत नहीं है ! हमें ऐसे जुझारू नेताओं की ज़रूरत है जो हमारी बुनियादी आवश्यकताओं को हम तक पहुँचाने में हमारे लिये मददगार साबित हों ! जब कई पार्टियों के नेता प्रतिस्पर्धा के स्तर पर पाँच साल तक काम करके चुनाव के समय परीक्षा देंगे तो परिणाम निश्चित रूप से सुखद आयेंगे ! देश की तो कायापलट ही हो जायेगी ! दरअसल हमें ऐसे नेताओं की ज़रूरत है तो आम जनता की तकलीफों को समझें, उनकी ज़रूरतों को जानें और उनको दूर करने के लिये युद्ध स्तर पर खुद को झोंक दें ! सांसद या विधायक की पदवी कोई इनाम नहीं है कि इसे ट्रॉफी की तरह अलमारी में सजा कर रख दिया जाये या डिग्री की तरह फ्रेम करा कर दीवार पर टाँग दिया जाये ! यह तो काँटो भरा ताज है जिसे पहन कर आप चैन से नहीं बैठ सकते ! आपको जनहित के लिये लगातार काम में लगे ही रहना पड़ता है !



साधना वैद   

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