देख लिया है मैंने तुझको ओ अनजाने
और समझ ली भली तरह से फितरत तेरी
कर ले जितनी चाहे तू मनमानी मूरख
डिगा न पायेगा तिल भर भी हिम्मत मेरी !
जिस्म भले ही नाज़ुक हो मेरा दिखने में
अंतर में फौलाद लहू बन कर बहता है
रहना मुझसे दूर भूल कर पास न आना
कोमल से इस पिंजर में साहस रहता है !
साधना वैद
नोट
यह तस्वीर मेरे बेटे सरन वैद के द्वारा खींची गयी है जो स्वयं एक आला दर्जे का वाइल्ड लाइफ फोटोग्राफर है !
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