सर्दी की रात
ठिठका सा कोहरा
ठिठुरा गात !
तान के सोया
कोहरे की चादर
पागल चाँद !
काँपे बदन
उघड़ा तन मन
गगन तले !
चाय का प्याला
सर्दी की बिसात पे
बौना सा प्यादा !
लायें कहाँ से
धरती की शैया पे
गर्म रजाई !
ठंडी हवाएं
सिहरता बदन
बुझा अलाव !
चाय की प्याली
सर्दी के दानव को
दूर भगाए !
दे दे इतना
जला हुआ अलाव
गरम चाय !
आँसू की बूँदें
तारों के नयनों से
झरती रहीं !
तारों के आँसू
आँचल में सहेजे
धरती माता !
साधना वैद
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