टूटी
चूड़ियाँ
धुल गयी
मेंहदी
वीर की
वधु
कैसा
सावन
तुम बिन
साजन
विष सा
मधु
माता
बेहाल
कैसी
चिर निंद्रा में
सोया है
लाल
झुके से
कंधे
डगमगाती
चाल
बापू का
हाल
गर्व से
ऊँचा
मस्तक
है चाहे हो
मन में
पीर
सीने पे
झेला
हर वार
शत्रु का
ऐसा था
वीर
झुका है सर
नमन है
तुमको
वीर
जवान
याद रखेगा
शहादत
तुम्हारी
सारा
जहान
साधना
वैद
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