ताशकंद की बेहद सुखद और सुन्दर सैर के बाद रात
बड़ी सुकून भरी नींद आई ! सोने से पहले अगली सुबह की थोड़ी तैयारी भी कर ली थी मैंने
! यह मेरी आदत में शुमार है ! सुबह के पहनने वाले कपड़े, यात्रा में काम आने वाला
सामान, आवश्यक दवाएं और सफ़र में पढ़ने के लिए पत्रिका वगैरह सब मैंने रात को ही सोच
समझ कर निकाल कर टेबिल पर रख दिए ! एक छोटे सूटकेस में समरकंद और बुखारा में
प्रवास के दौरान आवश्यक सामान रख कर बाकी सारा सामान बड़े सूटकेस में पैक कर दिया जो
यहीं पर क्लॉक रूम में छोड़ कर हमें जाना था ! रात की आधा पौन घंटे की मेहनत तो
ज़रूर हुई लेकिन हम निश्चिन्त होकर सो सके ताकि सुबह तैयार होकर फ़ौरन निकल सकें !
समरकंद जाने की उत्सुकता ने अलार्म से पहले ही जगा दिया ! जल्दी जल्दी तैयार होकर डाइनिंग
रूम में हम पहुँच गए ! इतनी जल्दी कुछ खाने की न तो आदत है ना ही भूख थी सो थोड़ा
बहुत कुछ चख कर हम बाहर रिसेप्शन में आ गए जहाँ सामान क्लॉक रूम में रखवाया जा रहा
था !
हमारे पास बिलकुल लाइट लगेज था यात्रा के लिए ! बस आ चुकी थी और हम सब जल्दी
ही उसमें बैठ कर रेलवे स्टेशन की ओर चल पड़े ! इस यात्रा के लिए बड़ी उत्सुकता थी
क्योंकि समरकंद हम बुलेट ट्रेन से जाने वाले थे ! और यही वह अवसर था जब हमें वास्तविक
उज्बेकिस्तान के दर्शन होने वाले थे ! ताशकंद के बारे में तो यह सोच लिया था कि सन
६६ में आये भूकंप के बाद जब आधे से ज्यादह शहर पूरी तरह से तबाह हो चुका था इस शहर
का एक तरह से नव निर्माण हुआ था ! यह उज्बेकिस्तान की राजधानी भी है तो इसका
आधुनिक, खूबसूरत और इतना साफ़ सुथरा होना कोई आश्चर्य की बात नहीं ! लेकिन किसी भी
देश की असली सूरत देखनी हो तो रेल मार्ग से बढ़ कर कोई और विकल्प नहीं है ! और अब
हम उसी यात्रा के लिए सज्ज हो चुके थे !
दिन की रोशनी में ताशकंद का रेलवे स्टेशन बहुत
ही भव्य, सुन्दर और साफ़ सुथरा दिखाई दे रहा था ! यहाँ पर आकर हमारे शब्दकोष में एक
नए शब्द ‘वोकजाल’ की वृद्धि हुई ! स्टेशन की इमारत पर लिखा हुआ था वोकजाल ताशकंद !
पूछने पर पता चला कि रेलवे स्टेशन को वोकजाल कहते हैं ! प्लेटफार्म पर नीली सफ़ेद
बुलेट ट्रेन हमारे सामने ट्रैक पर खड़ी थी ! हमारे गाइड मोहोम्मद ज़ायद ने हमें
ट्रेन में बैठने में बहुत सहायता की ! बिलकुल सही वक्त पर सुबह के ठीक सात बजे
ट्रेन समरकंद के लिए चल पड़ी ! ट्रेन आशातीत रूप से स्वच्छ और आधुनिक थी ! सीट्स
बहुत आरामदेह थीं और लगेज दरवाज़े के पास ही शेल्फ में सहेज कर रख दिया गया था !
बुलेट ट्रेन के नाम से यह सोचा था इसकी रफ़्तार बहुत तेज़ होगी लेकिन ट्रेन सामान्य
गति से ही चल रही थी ! बीच में थोड़ा लाईट रिफ्रेशमेंट भी सर्व किया गया ! हमने
अपने लिए कॉफ़ी लाने का अनुरोध किया जिसके लिए रेलवे स्टाफ के उस सहायक कर्मचारी ने
सर हिला कर अपनी सहमति भी दी लेकिन समरकंद आ गया कॉफ़ी नहीं आई ! पता नहीं भाषा की
समस्या की वजह से वह समझा नहीं या ट्रेन में कॉफ़ी सर्व करने की सुविधा नहीं थी !
खिड़की से बाहर दूर तक अनाज, फलों और सब्जियों
के खेत पसरे हुए दिखाई दे रहे थे ! एक बात जो मैंने नोटिस की कि उज्बेकिस्तान में
देवदार, चीड, चिनार, साइप्रस आदि की तरह ऊपर से नुकीले पेड़ अधिक हैं; नीम, पीपल,
बरगद जैसे घने और छायादार वृक्ष बहुत कम हैं ! ताशकंद से समरकंद के बीच ट्रेन कहीं
नहीं रुकी ! बीच में छोटे बड़े गाँव कसबे कई आये मैं हैरान थी कहीं भी गन्दगी,
कूड़ों के अम्बार, झुग्गी झोंपड़ियों की कतारें, तंगहाली या गरीबी के दर्शन नहीं हुए
जो हमारे देश में रेल यात्राओं के अनिवार्य दृश्य होते ही होते हैं ! मकान छोटे थे
या बड़े सब साफ़ सुथरे और सलीके के साथ रंगे पुते थे ! कोई भी घर या मकान ऐसा नहीं
दिखा जो टूटा फूटा हो और आँखों में खटक जाए ! इस यात्रा ने यह तो स्पष्ट कर दिया
कि उज्बेकिस्तान साफ़ सुथरा और संपन्न देश है और यहाँ के लोगों की जीवन शैली
सलीकेदार है !
इस यात्रा के दौरान ग्रुप के और सदस्यों के साथ
भी जान पहचान और मित्रता प्रगाढ़ होती जा रही थी ! मेरे साथ विद्या सिंह जी, जो
देहरादून में एम. के. पी. पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज में हिन्दी की प्रोफ़ेसर हैं, बैठी
हुई थीं ! उनके सानिध्य में बहुत ही अच्छा समय बीता ! विविध विषयों पर बहुत बातें
हुईं उनसे !
समरकंद आ गया था ! हम लोग ट्रेन से उतर गए थे !
हमारी बस स्टेशन के बाहर खड़ी हुई थी ! बस तक अपने सामान के साथ पैदल ही जाना था !
रास्ते में कई स्पॉट्स फोटोग्राफी के ख़याल से बड़े सुन्दर दिखाई दिए ! ग्रुप के सभी
सदस्यों ने अपनी तस्वीरें वहाँ खूब खींचीं ! कुछ ने सेल्फी लीं तो कई लोगों ने एक
दूसरे के फ़ोटोज़ पहले अपने कैमरों से और फिर उनके कैमरों से खूब क्लिक कीं ! चलिए
हम समरकंद तो पहुँच गए ! हमने तो सारा समरकंद उस एक दिन में ही घूमा था लेकिन आप
ज़रूर थक गए होंगे इसलिए यहाँ के पर्यटन स्थलों की सैर आपको कल करवाउँगी ! तब तक आप
भी कुछ आराम कर लीजिये और इन तस्वीरों का आनंद उठाइये ! कल की सैर बड़ी रोमांचक
होने वाली है ! तो अभी विदा दीजिये मुझे ! मिलती हूँ आपसे जल्दी ही !
साधना वैद
आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार दिलबाग जी ! सादर वन्दे !
ReplyDeleteताशकंद यात्रा का भाग पांच पढ़ा संस्मरण बहुत उम्दा लगे |
ReplyDeleteइस में चित्र नहीं डाले |
बहुत बढ़िया यात्रा वर्णन, शाधना दी।
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