वेदना की राह पर
बेचैन मैं हर पल घड़ी ,
तुम सदा थे साथ फिर
क्यों आज मैं एकल खड़ी !
थाम कर उँगली तुम्हारी
एक भोली आस पर ,
चल पड़ी सागर किनारे
एक अनबुझ प्यास धर !
मैं तो अमृत का कलश
लेकर चली थी साथ पर ,
फिर भला क्यों रह गये
यूँ चिर तृषित मेरे अधर !
मैं झुलस कर रह गयी
रिश्ते बचाने के लिये ,
मैं बिखर कर रह गयी
सपने सजाने के लिये !
रात का अंतिम पहर
अब अस्त होने को चला ,
पर दुखों की राह का
कब अंत होता है भला !
चल रही हूँ रात दिन
पर राह यह थमती नहीं ,
कल जहाँ थी आज भी
मैं देखती खुद को वहीं !
थक चुकी हूँ आज इतना
और चल सकती नहीं ,
मंजिलों की राह पर
अब पैर मुड़ सकते नहीं
कल उठूँगी, फिर चलूँगी
पार तो जाना ही है ,
साथ हो कोई, न कोई
इष्ट तो पाना ही है !
साधना वैद
बेचैन मैं हर पल घड़ी ,
तुम सदा थे साथ फिर
क्यों आज मैं एकल खड़ी !
थाम कर उँगली तुम्हारी
एक भोली आस पर ,
चल पड़ी सागर किनारे
एक अनबुझ प्यास धर !
मैं तो अमृत का कलश
लेकर चली थी साथ पर ,
फिर भला क्यों रह गये
यूँ चिर तृषित मेरे अधर !
मैं झुलस कर रह गयी
रिश्ते बचाने के लिये ,
मैं बिखर कर रह गयी
सपने सजाने के लिये !
रात का अंतिम पहर
अब अस्त होने को चला ,
पर दुखों की राह का
कब अंत होता है भला !
चल रही हूँ रात दिन
पर राह यह थमती नहीं ,
कल जहाँ थी आज भी
मैं देखती खुद को वहीं !
थक चुकी हूँ आज इतना
और चल सकती नहीं ,
मंजिलों की राह पर
अब पैर मुड़ सकते नहीं
कल उठूँगी, फिर चलूँगी
पार तो जाना ही है ,
साथ हो कोई, न कोई
इष्ट तो पाना ही है !
साधना वैद
आपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार यशोदा जी ! सप्रेम वन्दे !
ReplyDeleteवाह!!साधना जी ,बहुत खूबसूरत सृजन ।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद शुभ्रा जी ! आभार आपका !
Deleteकल उठूँगी, फिर चलूँगी
ReplyDeleteपार तो जाना ही है ,
साथ हो कोई, न कोई
इष्ट तो पाना ही है !
आपकी लेखनी को सादर नमन ।
जी ! हृदय से बहुत बहुत आभार आपका पुरुषोत्तम जी ! सादर !
Deleteह्रदयस्पर्शी ,लाज़बाब सृजन दी ,सादर नमन
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद कामिनी जी ! आभार आपका !
Deleteबहुत सुन्दर साधना जी !
ReplyDelete'मैं झुलस कर रह गयी
रिश्ते बचाने के लिये ,
मैं बिखर कर रह गयी
सपने सजाने के लिये !'
इन चार पंक्तियों में तो आपने बेटी, बहन, पत्नी और माँ'की सम्पूर्ण जीवन-गाथा व्यक्त कर दी.
आपने कविता के मर्म को पहचाना हृदय से आभारी हूँ आपकी गोपेश जी ! हार्दिक धन्यवाद आपका !
Deleteअप्रतिम सृजन आदरणीया ।
ReplyDeleteसादर ।
हार्दिक धन्यवाद पल्लवी जी ! आभार आपका !
Deleteबहुत बढ़िया
ReplyDeleteहृदय से धन्यवाद आपका केडिया जी ! दिल से आभार आपका !
Deleteबहुत खूब |
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद जी आपका ! दिल से आभार !
Deleteआपका हृदय से बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार एकलव्य जी ! सादर वन्दे !
ReplyDeleteAs claimed by Stanford Medical, It's really the one and ONLY reason women in this country get to live 10 years longer and weigh on average 42 lbs lighter than we do.
ReplyDelete(And realistically, it is not about genetics or some secret exercise and absolutely EVERYTHING about "HOW" they eat.)
P.S, What I said is "HOW", and not "what"...
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