याद आते हैं
शैशव के वो दिन
कितने प्यारे,
खेला करते
सहेलियों के संग
खेल वो न्यारे
मिट्टी के गुट्टे
बोल मेरी मछली
कितना पानी
शादी का खेल
गुड़िया की अम्माँ मैं
घर की रानी
सावन के गीत
कजरी औ’ मल्हार
कौन सुनावे
सूने हैं पेड़
ना झूले न सखियाँ
कौन झुलावे
वो गिल्ली डंडा,
क्रिकेट, गेंद बल्ला,
बच्चों की रेल,
ऊँची पतंग,
साँप सीढ़ी, कैरम,
खो खो का खेल
काँच के कंचे
घोड़ा जमाल शाही
खो गये सारे
बच्चों के खेल
आधुनिक युग में
हो गये न्यारे
कोई लौटा दे
बचपन हमारा
प्यारा सुहाना
देदे हमारी
लुटी हुई खुशियाँ
मीठा तराना !
साधना वैद
बहुत बढ़िया। बचपन जैसी कोई उम्र नहीं। ना किसी बात की चिंता, ना कुछ पाने की ललक न ही कुछ खोने का गम।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद तिवारी जी ! वाकई बचपन जैसा सुखी और चिंतामुक्त जीवन दोबारा नहीं मिलता किसीको ! हार्दिक आभार !
Deleteआपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज शुक्रवार 03 जुलाई 2020 को साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद एवं बहुत बहुत आभार यशोदा जी ! सप्रेम वन्दे सखी !
DeleteVery amazing
ReplyDeleteplease visit my blog
https://kidscricketcoaching.blogspot.com/2020/06/episode-21-to-know-basics-of-bowling.html
Thank you so much Neha ji. You are most welcome on this blog.
Deleteप्रभावशाली हाइकु
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद शास्त्री जी ! आपका बहुत बहुत आभार !
Deleteजी नमस्ते ,
ReplyDeleteआपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार(०४-०-७२०२०) को 'नेह के स्रोत सूखे हुए हैं सभी'(चर्चा अंक-३७५२) पर भी होगी।
आप भी सादर आमंत्रित है
--
अनीता सैनी
हार्दिक धन्यवाद अनीता जी ! बहुत बहुत आभार आपका ! सप्रेम वन्दे !
Deleteहार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! आभार आपका !
ReplyDeleteसुन्दर हाइकु मैम
ReplyDeleteबचपन है
चिंतामुक्त जीवन
मासूम मन
हार्दिक धन्यवाद विकास नैनवाल जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteउम्दा हाईकू
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद जी । बहुत बहुत आभार आपका ।
Delete