आओ बच्चों आज मैं
आपको एक कहानी सुना रही हूँ जो बहुत पुराने ज़माने की है ! किसी देश में एक छोटा सा
गाँव था ! उस गाँव की आबादी बहुत कम थी और जितने भी लोग वहाँ रहते थे सब बहुत
प्यार से हिल मिल के रहते थे ! बच्चों उस गाँव में सब हाथ से काम करने वाले बहुत
ही हुनरमंद कारीगर रहा करते थे ! पता है उन्हें हाथ से काम क्यों करना पड़ता था ? वो
इसलिए कि उन दिनों मशीनों का अविष्कार नहीं हुआ था ! कल कारखाने नहीं थे ! तो उस
गाँव के सारे लोग बहुत मेहनत करके सभी काम अपने हाथों से किया करते थे और सब अपने
काम में बड़े माहिर भी थे ! उसी गाँव में एक दर्जी भी रहता था ! एक से बढ़ कर एक
पोशाक वो बनाता ! इतनी सुन्दर कि सब देखते ही रह जाएँ और वो भी अपने हाथों से
क्योंकि उसके पास भी तो कोई मशीन थी ही नहीं !
बच्चों वो दर्जी बहुत
ही दयालू भी था ! एक हाथी से उस की बड़ी पक्की दोस्ती थी ! गाँव के पास ही एक नदी
बहती थी ! वह हाथी रोज़ उस नदी में नहाने के लिए जाता था ! रास्ते में उसके दोस्त
दर्जी की दूकान पड़ा करती थी ! जैसे ही हाथी उसकी दूकान के सामने आता अपनी सूँड उठा
कर दर्जी को सलाम करता और दर्जी रोज़ उसकी सूँड को हाथों से सहला कर उसे केले खाने
के लिए देता ! हाथी नदी से नहा कर लौटता तो फिर से दर्जी को सलाम करने के लिए उसकी
दूकान के सामने थोड़ी देर के लिए रुकता और फिर अपनी राह चला जाता ! आसपास के
दुकानदार भी दर्जी और हाथी की इस प्यार भरी दोस्ती के बारे में जानते थे ! उनके
लिए यह रोज़ की दिनचर्या का हिस्सा था !
एक बार क्या हुआ
बच्चों कि उस देश के राजा ने दर्जी को बुलवा भेजा ! उसके बेटे यानी कि राजकुमार की
शादी थी और राजा को उसके लिए बहुत सुन्दर सुन्दर कपड़े सिलवाने थे ! दर्जी का एक
बेटा भी था सुजान नौ दस साल का ! बहुत ही शैतान और खुराफाती ! दर्जी उसे काम
सिखाने की बहुत कोशिश करता लेकिन उसका काम में ज़रा भी मन नहीं लगता ! हर समय
शैतानियाँ करने में ही उसे मज़ा आता था ! राजा के बुलावे पर जब दर्जी महल जाने लगा
तो अपने बेटे सुजान को दूकान पर बैठा गया कि जब तक वह लौट कर न आये दूकान का ख़याल
रखे और तुरपाई करने के लिए एक कपड़ा भी दर्जी ने उसे इस हिदायत के साथ दे दिया कि लौट
कर आने तक वह इसकी तुरपाई ख़तम करके रखे !
रोज़ के वक्त पर हाथी
दूकान के सामने आया ! दर्जी तो नहीं था हाथी ने अपनी सूँड उठा कर सुजान को सलाम
किया ! सुजान तो वैसे ही चिढ़ा हुआ बैठा था ! उसे तुरपाई का काम जो करना पड़ रहा था
! उसने हाथी को केले तो दिये नहीं उलटे गुस्से में भर कर उसकी सूँड में ज़ोर से सुई
चुभो दी ! हाथी दर्द से चिंघाड़ उठा ! उसने गुस्से से भर कर सुजान को देखा और नदी
की तरफ नहाने के लिए चला गया ! आस पास के दुकानदार हाथी के व्यवहार से हैरान थे !
सुजान के चहरे पर बड़ी कुटिल मुस्कान थी ! इतने बड़े हाथी को उसने पछाड़ दिया ! जब आस
पास के दुकानदारों ने सुजान से पूछा हाथी इस तरह चिल्लाया क्यों ? तब खुराफाती
सुजान ने बड़ी शान के साथ अपनी ‘बहादुरी’ की बात उन्हें बता दी ! सारे दुकानदार
सुजान से बहुत गुस्सा हुए, उसे बुरा भला भी कहा और समझाया भी लेकिन वह हाथी को
परेशान करके बड़ा खुश था ! तभी हाथी नदी से नहा कर वापिस आया और रोज़ की तरह ही
दूकान के सामने रुका ! आस पास के लोग बड़े ध्यान से हाथी को देख रहे थे ! हाथी ने
अपनी सूँड ऊपर उठाई ! सब चकित थे कि सुजान के दुर्व्यवहार के बाद भी यह सुजान को
सलाम क्यों कर रहा है लेकिन हाथी नदी से अपनी सूँड में खूब सारा कीचड़ भर कर लाया
था और उसने वह सारा कीचड़ सुजान पर और दूकान में रखे कपड़ों पर फव्वारे की तरह फूँक
दिया और अपनी राह चला गया ! सारी दूकान, सुजान और ग्राहकों के कपड़े कीचड़ से तर ब
तर हो गए ! डर के मारे सुजान थर-थर काँप रहा था कि जब बापू राजा साहेब के यहाँ से
लौट कर आयेंगे तो क्या होगा !
तो बच्चों यह थी
कहानी बुरे काम का बुरा नतीजा ! दर्जी रोज़ हाथी को प्यार करता था उसे केले देता था
तो हाथी भी उसका आदर करता था उसे सलाम करता था लेकिन सुजान ने उसकी सूँड में सुई
चुभो कर गलत काम किया था ना ? इसीलिये हाथी ने उसे सज़ा दी !
साधना वैद
बहुत शिक्षाप्रद कहानी ...बुरे काम का बुरा नतीजा👍
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद उषा जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteजी नमस्ते,
ReplyDeleteआपकी लिखी रचना शुक्रवार २५ दिसंबर २०२० के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं।
सादर
धन्यवाद।
हार्दिक धन्यवाद एवं दिल से बहुत बहुत प्यार आपको श्वेता जी ! सप्रेम वन्दे !
Deleteबढिया कहानी
ReplyDeleteआभार
सादर नमन
हार्दिक धन्यवाद एवं आभार आपका यशोदा जी ! सप्रेम नमन ! !
Deleteहार्दिक धन्यवाद मीना जी ! रचना को इतना मान देने के लिए हृदय से धन्यवादआपका ! बहु बहुत आभार एवं सप्रेम वन्दे !
ReplyDeleteसुंदर !
ReplyDeleteशिक्षाप्रद कहानी।
हार्दिक धन्यवाद आपका सधु चन्द्र जी ! बहुत बहुत आभार !
Deleteसुंदर !
ReplyDeleteशिक्षाप्रद कहानी।
हार्दिक धन्यवाद !
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