पर्यावरण संरक्षण पर कुछ
हाइकू
धुएँ ने किये
चाँद सूरज तारे
अवगुंठित
स्वार्थी मानव
युद्ध की विभीषिका
दहकी धरा
क्रुद्ध प्रकृति
दोहन का उत्तर
विनाश लीला
तैरते शव
प्रदूषित नदियाँ
पंकिल जल
कटे जो वन
पंछी हुए बेघर
उजड़े नीड़
ऊँचे भवन
कंक्रीट के जंगल
घुटती साँस
शोर शराबा
कष्टप्रद ध्वनियाँ
कैसा संगीत
बीमार सोच
बीमार परिवेश
रुग्ण समाज
बचाना होगा
हर प्रदूषण से
वातावरण
करें चिंतन
कैसे करेंगे स्वच्छ
पर्यावरण
धारें संकल्प
धरा को प्रदूषित
होने न देंगे !
साधना वैद
धारें संकल्प
ReplyDeleteधरा को प्रदूषित
होने न देंगे !
-काश,सभी का यह चिंतन और आचरण हो !
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हार्दिक धन्यवाद प्रतिभा जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteहार्दिक धन्यवाद अनीता जी ! बहुत बहुत आभार आपका ! सप्रेम वन्दे !
ReplyDeleteपर्यावरण
ReplyDeleteक्यों चिंता की जाए
माल बनाओ
पर्यावरण की चिंता तो आवश्यक है गोपेश जी ! यह हमारे ही हित का सवाल है ! हार्दिक आभार आपका !
Deleteबढ़िया हाइकू
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद जीजी ! बहुत बहुत आभार !
Deleteबढ़िया हाइकू
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद ओंकार जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
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