भारत की पावन माटी के
वो रक्षक रणवीर थे !
हाँ वो सच्चे वीर
थे
हाँ वो सच्चे वीर
थे !
सबल सशक्त शत्रु के आगे
झुके नहीं नत मस्तक हो !
कमर तोड़ने को शत्रु की
लड़ते रहे समर्पित हो !
थे पर्वत से धीर
अटल वो
सागर से गंभीर थे
!
हाँ वो सच्चे वीर
थे
हाँ वो सच्चे वीर
थे !
हँसते-हँसते झूल गये वो
फाँसी के फंदे को चूम !
थी उनमें कुछ बात अनोखी
रहते थे मस्ती में झूम !
जिसने देखा थर थर
काँपा
वो ऐसी शमशीर थे !
हाँ वो सच्चे वीर
थे !
हाँ वो सच्चे वीर
थे !
नहीं कहीं था
उनके मन में
भय का थोड़ा सा भी
लेश,
वो साहस के पुतले
थे
धारा था बलिदानी
का वेश !
धर्म देश ही कर्म
देश ही
जिनका ये वो मीर
थे !
हाँ वो सच्चे वीर
थे
हाँ वो सच्चे वीर
थे !
सीमित साधन और निर्धनता
कभी न आड़े आ पाई !
बड़े–बड़े उनके करतब से
सारी दुनिया थर्राई !
दुश्मन को भी धूल चटा
दें
निर्भय वो बलवीर
थे !
हाँ वो सच्चे वीर
थे
हाँ वो सच्चे वीर
थे !
जाने कितने क़त्ल हो गये
जलियाँवाला बाग में
जाने कितने लटकाए
पेड़ों पर झौंके आग में !
मातृभूमि का क़र्ज़
चुकाया
ऐसे वो सतवीर थे !
हाँ वो सच्चे वीर
थे
हाँ वो सच्चे वीर
थे !
भगत सिंह, सुख देव, राजगुरु
अशफाकुल्ला और आज़ाद
जान लुटा दी सबने अपनी
करने को भारत आज़ाद !
लक्ष्भेदी बाणों
से सज्जित
जिनके सभी तुणीर
थे !
हाँ वो सच्चे वीर
थे !
हाँ वो सच्चे वीर
थे !
और न जाने कितने ही
दीवानों का लिखा है नाम
भारत माता की रक्षा में
हँस कर दे दी अपनी जान !
प्राण हथेली पर
रखते थे
ऐसे वो रणधीर थे !
हाँ वो सच्चे वीर
थे
हाँ वो सच्चे वीर
थे !
काश आज हर भारत वासी
याद रखे उनका बलिदान
जात पाँत और ऊँच नीच को
भूल करे उनका सम्मान !
वो भारत के
कर्णधार थे
भारत की तकदीर थे
!
हाँ वो सच्चे वीर
थे
हाँ वो सच्चे वीर
थे !
चलो चलें उनके कदमों पर
करें देश पर हम अभिमान
अपने सत्कर्मों से उज्जवल
करें विश्व में हिन्दुस्तान !
गर्व कर सकें वो
हम पर भी
हम जिनकी तस्वीर
थे !
हाँ वो सच्चे वीर
थे
हाँ वो सच्चे वीर
थे !
साधना वैद
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (27-08-2022) को "सभ्यता पर ज़ुल्म ढाती है सुरा" (चर्चा अंक-4534) पर भी होगी।
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कृपया कुछ लिंकों का अवलोकन करें और सकारात्मक टिप्पणी भी दें।
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चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट अक्सर नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
हार्दिक धन्यवाद शास्त्री जी ! आपका बहुत बहुत आभार ! सादर वन्दे !
Deleteबहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना पढ़ने में आनन्द आगया |
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद जीजी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteदेशभक्ति के भावों से भरी इस सुंदर काव्य रचना के लिए आपको बधाईयां। आज के जमाने में तो चालाक नेता लोग इन महान आत्माओं के फोटो लगाकर उल्टे सीधे काम करते हैं ओर फिर इन महान आत्माओं की संतान होने का दम भरते हैं। आपको बहुत-बहुत शुभकामनाएँ।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद आपका ! बहुत बहुत आभार !
Deleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
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