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Friday, November 18, 2022

राजू ले आया केला

 



सुबह हुई 

राजू केला ले आया 

मन हर्षाया 

धरा मेज़ पे केला

बंदर आया

झपट के उसने 

केला उठाया

देख लिया राजू ने 

माथा भन्नाया

सुर्ख हुआ चेहरा

भागा अंदर

गुलेल उठा लाया

घूर के देखा

नीचे झुक उसने

ढेला उठाया

डर गया बंदर

चढ़ा पेड़ पे

ऊँची हुई गुलेल

भागा बंदर

नीचे गिराया केला

राजू मुस्काया

राजू को मिला केला

खतम हुआ खेला । 


साधना वैद

11 comments :

  1. अच्छी रचना है दीदी !

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    1. हार्दिक धन्यवाद अनुपमा जी !

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    1. हार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  3. बहुत सुन्दर गुदगुदी बाल रचना

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    1. हार्दिक धन्यवाद कविता जी ! हृदय से आभार आपका !

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  4. सुंदर बाल कविता

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    1. हृदय से धन्यवाद आपका मीना जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  5. आदरणीया मैम, बहुत ही प्यारी सी बाल कविता पढ़ कर आनंद आया। सादर प्रणाम।

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    1. हार्दिक धन्यवाद अनंता जी ! बहुत बहुत आभार आपका !

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  6. भुत प्यारी रचना

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