दिन भर मुझको काम बताता
सारे घर में नाच नचाता
लेकिन मन का है वो सच्चा
को सखी साजन ?
ना सखी बच्चा !
९
ले आता मँहगे उपहार
चूड़ी, कंगन, झुमके, हार
चाहे खुश होकर दूँ दाद
को सखी साजन ?
ना री दमाद !
१०
रात को जब खिड़की से आये
देख उसे दिल घबरा जाए
मन चाहे कर दूँ मैं शोर
को सखी साजन ?
ना सखी चोर !
११
जैसे ही वो घर में आये
मेरी साँस गले घुट जाए
रौब दाब है उसका जबरा
को सखी साजन ?
ना सखी ससुरा !
१२
जो कह दूँ वो कभी न सुनता
जो बतलाऊँ उलटा करता
करता है अपनी मनमर्ज़ी
को सखी साजन ?
ना सखी दर्ज़ी !
१३
दबे पाँव घर में आ जाए
किचिन खोल सब माल उड़ाये
मक्खन, ब्रेड, जैम, अंगूर
को सखी साजन ?
ना लंगूर !
१४
जब आकर खिड़की से झाँके
पहरों बैठा मुझको ताके
लगे मुझे हर दुःख तब मंदा
को सखी साजन ?
ना सखी चंदा !
१५
मुझे देख कर सीटी मारे
ज़ोर ज़ोर से नाम पुकारे
और सुनाये मीठे बैना
को सखी साजन ?
ना सखी मैना !
चित्र - गूगल से साभार
साधना वैद
बहुत ही सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteहार्दिक धन्यवाद जीजी ! बहुत बहुत आभार आपका !
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