करते रहे
जगत को रौशन
बुझे से हम
सजाते रहे
सबके आशियाने
लुटे से हम
छप्पन भोग
परसते थालों में
भूखे से हम
सुनाते रहे
खुशयों के नगमे
रोते से हम
बजाते रहे
ढोल ताशे नगाड़े
थके से हम
पिलाते रहे
मीठे पेय सबको
प्यासे से हम
अमीर वर्ग
श्रमिक दिवस का
आनंद लेगा
श्रमिक वर्ग
उन अतिथियों की
सेवा करेगा
ऐसे ही बस
श्रमिक दिवस भी
मन जाएगा
साधना वैद
बहुत सुन्दर हाइकू
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद जीजी ! बहुत बहुत आभार !
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद ओंकार जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
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