प्रकाश स्तम्भ
जीवन की राहों के
गुरु हमारे
अडिग खड़े
शैशव से यौवन
संग हमारे
दिया विस्तार
विकसित विचार
बड़ा आभार
ज्ञान का पुंज
करके उपकार
खोले हैं द्वार
दे दी उड़ान
कल्पना के पंछी को
सातों गगन
करते तुम्हें
बारम्बार नमन
कृतज्ञ मन
भरा प्रकाश
आलोकित जीवन
हर्षित हम
कभी न होंगे
मुक्त इस ऋण से
दरिद्र हम
परम पूज्य
सबसे अनमोल
जीवन धन
गुरु हमारे
शत शत वंदन
कोटि नमन
साधना वैद
वाह! बहुत सुंदर हाइकु।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद नीतीश जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteहार्दिक धन्यवाद दिग्विजय जी ! बहुत बहुत आभार आपका ! सादर वन्दे !
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