तुम
क्या गए
यह जीवन हमारा
हो गया
बेरंग
प्रतीक्षा
करते रहे
व्याकुल नैन हमारे
डूब गए
तारे
दिलासा
सिर्फ झूठी
तुमने दी हमें
हमने किया
विश्वास
तुम
कब आओगे
अब तो कहो
चाहती हूँ
जानना
द्वार
खोल कर
प्रतीक्षारत ही मिलूँगी
जब आओगे
तुम
चित्र - गूगल से साभार
साधना वैद
बहुत सुंदर
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद ओंकार जी ! आभार आपका !
Deleteवाह! बहुत बढ़िया।
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद विश्वमोहन जी ! बहुत बहुत आभार !
Deleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद प्रिया जी ! दिल से आभार !
Deleteबहुत सुंदर प्रस्तुति।
ReplyDeleteWelcome to my blog
हार्दिक धन्यवाद आदरणीय ! आभार आपका !
Deleteवाह।
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद शिवम् जी ! आभार आपका !
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