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Friday, April 11, 2025

सायली छंद

 




तुम 
क्या गए 
यह जीवन हमारा
हो गया 
बेरंग 

प्रतीक्षा 
करते रहे 
व्याकुल नैन हमारे 
डूब गए 
तारे 

दिलासा  
सिर्फ झूठी  
तुमने दी हमें  
हमने किया 
विश्वास 

तुम
कब आओगे 
अब तो कहो 
चाहती हूँ 
जानना  

द्वार 
खोल कर 
प्रतीक्षारत ही मिलूँगी 
जब आओगे 
तुम 

चित्र - गूगल से साभार 

साधना वैद 

10 comments :

  1. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद ओंकार जी ! आभार आपका !

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  2. वाह! बहुत बढ़िया।

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    1. हार्दिक धन्यवाद विश्वमोहन जी ! बहुत बहुत आभार !

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  3. Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद प्रिया जी ! दिल से आभार !

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  4. बहुत सुंदर प्रस्तुति।
    Welcome to my blog

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    Replies
    1. हार्दिक धन्यवाद आदरणीय ! आभार आपका !

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  5. Replies
    1. बहुत बहुत धन्यवाद शिवम् जी ! आभार आपका !

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