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Sunday, April 21, 2013

शब्दों की बैसाखी



शब्दों की बैसाखियों के सहारे
शिथिल चाल से
मंज़िल तक पहुँचने का
हर उपक्रम विफल सा
क्यों हो जाता है !
बीतते समय के साथ
हर शब्द के मायने
क्यों बदल जाते हैं !
एक बहुत पाकीज़ा
बहुत नाज़ुक
बहुत ताज़ा सा ख़याल
अनायास ही मुरझा कर
बासी और दूषित सा
क्यों हो जाता है !
शब्दों की ये कैसी
फितरत है जो
चाहे सन्दर्भ वही हो
प्रसंग भी वही हो
कहने और सुनने वाले
पात्र भी वही हों
लेकिन वक्त के साथ
उनके अर्थ बदल जाते हैं !
बैसाखी का हर शब्द
आज जैसे जर्जर होकर
बिखर सा गया है
और एक कदम भी
आगे बढ़ने से इनकार
कर देता है !  
भावनाओं की डोर
कच्ची हो टूटने लगती है
और मन का अवसाद
गहराता जाता है !
जब तक शब्दों की
नयी बैसाखियाँ ना मिल जायें
इन टूटी बैसाखियों से
तौबा करना ही ठीक होगा
क्योंकि ये अपना
धर्म भूल गयी हैं !
रीढ़ को सहारा देकर
सीधा रखने की जगह
ये उसे भूमि पर गिराने को
उद्यत हो गयी हैं !
अर्थ खो चुके शब्दों से तो
मौन ही भला है !
है ना !


साधना वैद

12 comments :

  1. अर्थ खो चुके शब्दों से तो
    मौन ही भला है !
    है ना !

    गहन और सार्थक बात ....!!
    बहुत सुन्दर रचना ....!!

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  2. वक़्त था - जब शब्दों का रिश्ता बनता था
    अनकहे शब्द भी अपनी धरती अपना आँगन बना लेते थे
    अब शातिर से शब्दों की शतरंजी चाल के आगे
    रिश्ते हतप्रभ!
    सवालों की नोक पर असहाय बीमार से हैं
    अपाहिज शब्दों से किसी का क्या लेना-देना

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  3. अब तो स्नेहिल शब्द भी मात्र दिखावा करार कर दिये जाते हैं ... हर कोई शब्द का अर्थ अपने अनुसार ही लगा लेता है ... सच मौन ही भला ....

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  4. सुन्दर और सार्थक रचना

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  5. सच है अर्थ खो चुके शब्दों से तो मौन ही भला... गहन अभिव्यक्ति

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  6. सारा खेल शब्दों का ही है ..... बस शब्द हमारे साथ न खेल जाएँ, इतना तो समझना होगा

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  7. आपकी इस प्रविष्टि क़ी चर्चा सोमवार [22.4.2013] के 'एक गुज़ारिश चर्चामंच' 1222 पर लिंक क़ी गई है,अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए पधारे आपका स्वागत है |
    सूचनार्थ..

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  8. दिखावा के जमाने में शब्द भी एक दिखावा है
    latest post सजा कैसा हो ?
    latest post तुम अनन्त

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  9. सही कहा अब मौन ही रहने को मन करता है

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  10. अर्थ खो चुके शब्दों से तो
    मौन ही भला है !
    बेहद गहन एवं सशक्‍त भाव लिये उत्‍कृष्‍ट प्रस्‍तुति
    सादर

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  11. गहन,सार्थक बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति

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