पावस ऋतु
हुआ मन मगन
आये सजन
भीगा मौसम
हर्षाये क्षितिज पर
धरा गगन
बूँदों के हार
पहन उल्लसित
मुग्ध वसुधा
हुई बावरी
रोम रोम से पीती
मादक सुधा
फ़ैली सुरभि
खिल उठे सुमन
गाता पवन
सृष्टि हर्षाई
हुआ संगीतमय
वातावरण
बूँदों की थाप
टीन की छत पर
बजने लगी
घेवर खीर
मेंहदी की खुशबू
बढ़ने लगी
बागों में झूले
कोयल की कूक के
दिन आ गए
बेटियाँ आई
कजली मल्हार के
सुर छा गए
कैसे समेटूँ
सारा शीतल जल
नन्ही हथेली
बूँदों का साज़
सुन के नाच उठी
धरा नवेली
गरजी घटा
बरसी रिमझिम
धरा हर्षित
उसका प्रेम
फसल के रूप में
हुआ अर्पित !
साधना वैद
बरखा के आगमन का सुन्दर स्वागत कर रहे हैं आपके हाइकू ....
ReplyDeleteबहुत खूब ...
हार्दिक धन्यवाद नासवा जी ! ह्रदय से आभार आपका !
Deleteबरखा रानी का स्वागत करते, अति सुंदर,मनमोहक एक से बढ़कर एक हाइकु।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteउम्दा हाइकु |मौसम के अनुकूल |
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद जीजी ! बहुत बहुत आभार आपका !
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