तारीख
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२५ अगस्त २०१९
छूटे हुए सिरों को दोबारा से समेट कर लिखना बहुत मुश्किल हो जाता है ! दीपावली के त्यौहार की व्यस्तता, मेहमानों का आवागमन, घरों में बढ़े हुए अतिरिक्त कामों के कारण तन मन पर छाई थकन और शिथिलता कुछ भी लिखने की इजाज़त नहीं दे रहे थे ! कम्प्यूटर की चेयर पर बैठते ही नींद के झोंके आने लगते और सारा काम धरा रह जाता ! लेकिन ज़ेहन में सभी कुछ बिलकुल उसी तरह सुरक्षित है जैसे कल की ही बात हो ! इसीलिये आज फिर इस संस्मरण को लिखने बैठ गयी हूँ !
सुबह
के सम्मलेन की साहित्यिक गतिविधियों का खुमार अभी तक दिलो दिमाग पर छाया हुआ था !
साहित्यिक सत्र इतना स्तरीय और शानदार चल रहा
था कि उठने का मन ही नहीं हो रहा था लेकिन साईट सीइंग के लिए हमारे गाइड और बस
दोनों ही आ चुके थे और हमें इस बीच लंच की औपचारिकता भी पूरी करनी थी ! हमारी
ग्रुप लीडर और विश्व मैत्री मंच की अध्यक्षा श्रीमती संतोष श्रीवास्तव जी ने
निर्णय लिया कि साहित्यिक सत्र का दूसरा भाग जिसमें सदस्यों को अपनी लघु कथा और
कविताओं का पाठ करना था किसी और दिन रख लेंगे !
सब
जल्दी जल्दी अपने कमरों में गए ! अपने हाथों का अतिरिक्त सामान कमरों में रखा कपड़े
बदले और भोजन की औपचारिकता निभा कर जल्दी से बस में जा बैठे ! अब सच में ताशकंद
शहर की रोमांचक यात्रा आरम्भ होने जा रही थी ! लेकिन साईट सीइंग से पहले सबको अपने
डॉलर्स को उज़बेकिस्तान की स्थानीय करेंसी में बदलवाना था ! उसके लिए हमें होटल
उज़बेकिस्तान जाना था जहाँ यह सुविधा उपलब्ध थी ! लगभग सभी लोगों को अपना मनी
कन्वर्ट कराना था इसलिए वहाँ कुछ देर लगी ! जब तक पतिदेव होटल में अपने डॉलर्स वहाँ की स्थानीय करेंसी सोम में बदलवाने में व्यस्त थे मैं बस से उतर कर उस शानदार होटल और
उसके आस पास के खूबसूरत नजारों को कैमरे में कैद करने लगी ! जी हाँ दोस्तों उज़बेकिस्तान की करेंसी का नाम है सोम ! १००० सोम के नोट का मूल्य भारत के लगभग १० रुपये के बराबर होता है ! वहाँ के स्थानीय बाज़ार में १०००० सोम को अमेरिकन एक डॉलर के बराबर मान कर सौदा करते हैं दुकानदार जबकि वास्तविक मूल्य १०००० सोम से कुछ कम ही होता है ! दिन का समय था लेकिन
ताशकंद का मौसम बहुत खुशगवार था ! एकदम साफ़ सुथरा शहर, बिलकुल शांत वातावरण, ना
भीड़ भाड़ ना वाहनों का कोलाहल, सामने होटल उज़बेकिस्तान की बहुत ही खूबसूरत शानदार
इमारत और रंग बिरंगे सुन्दर फूलों से महकते बगीचे ! बगीचे में मोर सारस आदि की
सुन्दर मूर्तियाँ ! सब कुछ एक सुन्दर चित्र की तरह मनमोहक !
ताशकंद
में साईट सीइंग के लिए हमारा सबसे पहला स्थान था हमारे देश के भूतपूर्व प्रधान
मंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी का स्मारक, जिनका स्वर्गवास ११ जनवरी, १९६५ को
ताशकंद में ही हुआ था ! जिन संदेहास्पद
स्थितियों में उनकी मृत्यु हुई वह रहस्य आज तक खुल नहीं सका लेकिन अपने अल्प
कार्यकाल में ही वे देश की जनता के दिलों पर अपनी अमिट छाप छोड़ने में कामयाब हुए
थे ! शास्त्री जी की बहुत ही आकर्षक एवं भव्य मूर्ति एक स्तम्भ पर रखी हुई है ! इस
स्थान का नाम शास्त्री स्क्वेयर है और इस सड़क का नाम शास्त्री जी की याद में
शास्त्री स्ट्रीट रखा गया है ! विदेश की भूमि पर अपने देश के इस रत्न का यह सम्मान
और कद देख कर मन अपरिमित गर्व से भर उठा !
ग्रुप के सभी साथियों ने शास्त्री जी की मूर्ति के साथ अपनी अपनी तस्वीरें खींचीं
और खिंचवायीं ! पहला ही पड़ाव मन को तृप्त कर गया !
हमारा
अगला पड़ाव था मेमोरियल ऑफ़ रिप्रेशन ! यह खूबसूरत स्मारक ३१ अगस्त २००२ में उन
शहीदों की याद में बनाया गया जिन्होंने उज़बेकिस्तान के स्वतंत्र होने से पहले बहुत संघर्ष किया, अत्याचार सहे और क्रूर शासकों की दमन नीतियों के चलते जिन्हें बड़ी
यातनाएं देकर मार दिया गया ! जो हाल यहूदियों का जर्मनी में हुआ यातनाओं के लगभग
वैसे ही दौर से उज़बेकिस्तान के बाशिंदे भी गुज़रे ! इस स्थान पर जब म्यूज़ियम बनाने
के लिए तैयारियाँ चल रही थीं तो क्रांति के दौरान मारे गए अनेक लोगों की कब्रें
यहाँ मिली ! यह स्मारक आमिर तैमूर स्ट्रीट पर ताशकंद टी वी टॉवर के सामने बना हुआ
है और अन्होर नहर इसके बगल से बहती है ! नहर का बिलकुल साफ़ नीला पानी आँखों को बड़ी
ठंडक पहुँचा रहा था ! म्यूज़ियम तो उस दिन बंद था लेकिन हम गार्डन और उसमें बनी
छतरी को देख देख कर ही मुग्ध होते रहे ! बड़ा खुशगवार मौसम था ! उस दिन पार्क में
कई नव विवाहित जोड़े मौजूद थे ! सफ़ेद गाउंस में दुल्हनें बहुत सुन्दर लग रही थीं ! उनका
फोटो सेशन चल रहा था ! उन्होंने बड़ी प्रसन्नतापूर्वक हमारे कैमरे के लिए भी आकर्षक
पोज़ दिए और वीडियो रिकॉर्डिंग भी करने दी ! पार्क की लोकेशन बहुत सुन्दर है ! वहाँ
उस दिन बहुत लोग मौजूद थे !
अगला
स्थान जो हमने देखा वह था व्हाईट मॉस्क ! उज्बेकिस्तान एक मुस्लिम बहुत देश है !
यहाँ दर्शनीय स्थलों में मकबरे, मस्जिदें और मदरसे ही अधिक हैं ! लेकिन वे भी इतने
सुन्दर और आलीशान हैं कि नज़रें हटना ही नहीं चाहतीं उनसे ! सदियों पुराने मदरसों
और मकबरों का भी रख रखाव इतना बढ़िया है कि देखते ही बनता है ! व्हाईट मॉस्क सफ़ेद संगमरमर से बनी हुई है और इसमें नीले कीमती
पत्थरों से इनले वर्क किया गया है जो बहुत ही खूबसूरत है ! आस पास बहुत खुली जगह ! पार्किंग के लिए बहुत बड़ा स्थान सुरक्षित ! ना कहीं भीड़ ना लोगों का जमघट ! सब कुछ एकदम व्यवस्थित शांत एवं अनुशासित ! अज्ञानतावश हम मस्जिद के अन्दर
चले गए ! बहुत विशाल हॉल था अन्दर का और बहुत ऊँची और बेशकीमती कारीगरी से बनी हुई
उसकी सुन्दर गुम्बद थी ! पूरे हॉल में नमाज़ियों के लिए कालीन बिछे हुए थे ! और कई
लोग नमाज़ पढ़ भी रहे थे ! हमें इशारे से बताया गया कि मस्जिद के अन्दर महिलाओं का
प्रवेश वर्जित है ! हम तुरंत ही बाहर आ गए लेकिन अन्दर का नज़ारा तो आँखों में भर ही लिया था
! हमारे गाइड जायद ने हमारे लिए अन्दर की फ़ोटोज़ भी खींच कर ला दीं और एक खूबसूरत
सा वीडियो भी बना दिया !
पोस्ट
काफी बड़ी हो गयी है ! आप सब पढ़ते पढ़ते थक गए होंगे ! ताशकंद के अन्य स्थानों की
सैर अगली कड़ी में ! तब तक के लिए आज्ञा दें ! नमस्कार !
साधना
वैद
सड़क का नाम शास्त्री जी की याद में शास्त्री स्ट्रीट रखा गया है ! विदेश की भूमि पर अपने देश के इस रत्न का यह सम्मान और कद देख कर मन अपरिमित गर्व से भर उठा..
ReplyDeleteपढ़ कर अच्छा लगा, मानो मैं भी वहाँ मौजूद हूँ, कुछ इसतरह से अपनी यात्रा के संस्मरण को ब्लॉग पर संजोया है.
प्रणाम
हार्दिक धन्यवाद पथिक जी ! संस्मरण आपको अच्छा लगा जान कर हर्ष हुआ ! आभार आपका !
Deleteशानदार वर्णन |
ReplyDeleteधन्यवाद जी ! तस्वीरें फेसबुक पर देखिये ! फेसबुक पर वहाँ की मनोरम तस्वीरें भी हैं !
Deleteबहुत सुंदर वर्णन साधना, दी। बिल्कुल सजिव चित्रण!
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद जयोति जी ! आभार आपका !
Deleteआपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल गुरुवार (07-11-2019) को "राह बहुत विकराल" (चर्चा अंक- 3512) पर भी होगी।
ReplyDelete--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
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डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'