बिटिया जन्मी
सुरभित आँगन
खिली कलियाँ
घटा जीवन तम
छाई खुशियाँ !
है आँचल में दूध
आँखों में पानी
साक्षात दुर्गा
पधारी
हैं घर में
माता
हर्षानी !
पर्वत सा हौसला
फूल सा तन
बाँध लिया है
सारा जहां बाहों में
पूरा गगन !
प्रतिभाशाली बेटी
सुयोग्य बहू
ससुराल
की शान
क्या क्या न कहूँ !
आज की बेटी
प्रवाहमान नदी
चंचल हवा
गुणों की खान
समस्या का निदान
मर्ज़ की दवा !
प्रखर सूर्य
तो स्निग्ध चन्द्रमा है
शीतल बेटी
है ज्वालामुखी
उगलती है लावा
जुझारू बेटी !
रूढ़ियों की उँगली
आज की बेटी
तोड़ती वर्जनायें
साहसी बेटी !
शुद्ध करती आत्मा
देती संस्कार
नयी पीढ़ी को
करती है तैयार
दे सुविचार !
परिवार का मान
शिक्षित बेटी
हीरे की कनी
आँगन का उजाला
हमारी बेटी !
एक छलाँग
नाप लिये बेटी ने
धरा गगन
नन्ही कली ने
बाँध लिये बाहों में
सातों गगन !
बहुत सुंदर
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद केडिया जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteहार्दिक धन्यवाद अनीता जी ! बहुत बहुत आभार आपका !
ReplyDeleteबहुत सुंदर
ReplyDeleteहार्दिक धन्यवाद महोदय ! बहुत बहुत आभार आपका !
Deleteआज की बेटी
ReplyDeleteप्रवाहमान नदी
चंचल हवा
गुणों की खान
समस्या का निदान
मर्ज़ की दवा !...
आज की क्षमतावान बेटियों का साकार चित्रण करती इस रचना के लिए आपको साधुवाद!!!
आहा ! हृदय से स्वागत है आपका शरद जी ! आपका बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार !
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