आज शारदेय नवरात्रि की अष्टमी है ! बस्ती के घरों में खूब हलचल है ! जो बच्चियाँ अपनी माँओं की डाँट फटकार खाने के बाद भी दिन चढ़े तक ऐसे ही घूमती रहती हैं आज सुबह से नहा धोकर साफ़ सुथरे कपड़े पहन कर बाल बाँध कर तैयार हो रही हैं ! आज का दिन उन सबके लिए सबसे बड़े त्योहार का दिन है ! सबको आज कई घरों में आमंत्रित किया जाएगा ! खूब हलवा पूरी खाने को मिलेंगी और भेंट उपहार मिलेंगे सो अलग ! लड़कियों के ग्रुप में बड़ा उत्साह है !
बिल्मा भी सबके साथ जाना चाहती है ! लेकिन न तो उसके पास कोई अच्छी सी फ्रॉक है न जूते या चप्पल ! जूता फट गया है चप्पल टूट गयी है ! अम्माँ के पास पैसे भी नहीं है जो खरीद कर दिला देती ! इसलिए माँ ने जाने से मना कर दिया है ! बिल्मा आँखों में आँसू भरे उदास बैठी है ! आज बापू ज़िंदा होते तो ज़रूर उसके लिए कोई न कोई जुगत लगा कर इंतजाम कर देते ! तभी उसकी पक्की सहेली मुनिया उसके लिए एक फ्रॉक लेकर आ गयी ! “ले बिल्मा ! इसे पहन ले और जल्दी से तैयार हो जा ! पूजा में इतने पैसे तो मिल ही जायेंगे कि तेरी चप्पल आ जाए !” बिल्मा ने माँ की तरफ देखा ! माँ की आँखों में आँसू भी थे और इजाज़त भी !
चित्र - गूगल से साभार
साधना वैद
जय माता दी 🙏
ReplyDelete🙏🚩सत्य ,सदाचार ,सनातन मूल्यौ की शाश्वत विजय के प्रतीक पर्व विजयदशमी कीआप सभी को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं,🙏🚩
हार्दिक धन्यवाद रूपा जी ! माँ का वरद हस्त आपके व आपके परिवार पर भी बना रहे यही दुआ करती हूँ !
Deleteदया और करुणा किसी भी पूजा से बढ़कर है। बिल्मा का उद्धार करने के लिए माँ दुर्गा ने मुनिया को भेज दिया। जय माता दी 🙏😊
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